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अपनों के इंतज़ार में सिसकियां भरते हिमाचल के गांव

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शिमला, हिमाचल प्रदेश.

वर्ष 2023 की तरह इस बार भी बारिश ने खूब तबाही मचाई. प्रदेश में आई त्रासदी पिछले वर्ष मिले जख्मों को फिर से ताज़ा कर गई. 31 जुलाई की रात जब सब सोये हुए थे, ऐसे में कुदरत का सैलाब आया और दर्जनों लोगों को अपने साथ बहा कर ले गया. प्रदेश के तीन जिलों शिमला, मंडी और कुल्लू में बादल फटने की घटना भयावह थी. भूस्खलन के बाद अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और 40 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं. शिमला जिला में रामपुर का समेज गांव पूरी तरह से तबाह हो गया है. इस गांव से बहे लोगों में से 10 के शव मिल चुके हैं, जबकि 30 लोग अभी भी लापता हैं. शव इतने क्षत-विक्षत हैं कि परिजनों द्वारा भी उन्हें पहचान पाना मुश्किल हो रहा है. मृतकों की पहचान के लिए डीएनए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. वहीं मंडी जिला के पद्धर उपमंडल के थलटूखोट गांव में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ. हादसे में 10 लोग लापता हो गए थे, जिनमें से 9 के शव मिल चुके हैं. जबकि 1 लापता की तलाशष अभी भी जारी है. इधर कुल्लू जिला के बागीपुल में 3 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. जान के साथ-साथ माल का नुकसान भी बड़े स्तर पर हुआ है. बहुत से सड़क मार्ग अभी भी अवरूद्ध हैं. कई पुल बह गए हैं तो विभिन्न फोरलेन भी ध्वस्त हो गये हैं.  कुल्लू के गांव जाओन, निरमण्ड में बादल फटने से श्रीखण्ड यात्रा का बेस कैम्प प्रभावित हुआ है. एन.डी.आर.एफ, एस.डी.आर.एफ, होम गार्ड, पुलिस और फायर सर्विसेज की टीमें राहत, खोज और बचाव कार्य में दिन रात जुटी हुई हैं. वहीं जीवन की इस यात्रा में पीछे छूट गये रिश्ते-नाते जो त्रासदी के उस समन्दर से अपनों के आने की उम्मीद लगाए बैठे थे, उनके आने की उम्मीद को छोड़ अब तो सिर्फ परिजनों के अवशेष मिलने का इंतजार कर रहे हैं ताकि विधि- विधान से उनका अंतिम संस्कार कर सकें.

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