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मुझे नहीं पता हिन्दुस्तान को क्या कहना है, मेरी मां या पिता, लेकिन हिन्दुस्तान .. हिन्दुस्तान है

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नई दिल्ली. अफगानिस्तान में प्रताड़ना के कारण भारत निदान सिंह की कहानी उन लोगों के लिए जवाब है, जो नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सड़कों पर उतरे हुए थे. कानून के नाम पर भारतीय नागरिकों को बरगलाया-भड़काया जा रहा था. विरोध के नाम पर हिंसा को अंजाम दिया गया, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.

अफगानिस्तान में रहने वाले निदान सिंह का एक महीने पहले तालिबानियों ने अपहरण कर लिया था, काफी प्रयासों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. रविवार को निदान सिंह सहित 11 सिक्ख अफगानिस्तान से भारत पहुंचे. इन्हें विशेष विमान के माध्यम से काबुल से दिल्ली लाया गया है. दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी का स्वागत किया गया.

भारत पहुंचने के बाद भावुक होते हुए निदान सिंह सचदेवा ने कहा कि मुझे नहीं पता हिन्दुस्तान को क्या कहना है, मेरी मां या पिता, लेकिन हिन्दुस्तान .. हिन्दुस्तान है. उन्होंने तालिबानी आतंकियों द्वारा अपहरण करने की घटना का स्मरण करते हुए बताया कि उन्हें रोज मारा जाता था, पेड़ में बांधकर रखा जाता था और इस्लाम को अपनाने के लिए कहा जाता था.

तालिबानियों द्वारा अपहृत निदान सिंह की रिहाई में लिए भारत सरकार ने अहम भूमिका निभाई थी. उनकी पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. उनका 17 जून को अफगानिस्तान के पकटिया गुरुद्वारा से अपहरण किया गया था. एक महीने बाद उनकी रिहाई हो पाई थी.

भारत पहुंचे लोगों में निदान सिंह के साथ एक 16 साल की नाबालिग युवती भी है. उसका अपहरण करके जबरन मुस्लिम बनाकर निकाह करवाया जा रहा था. ये सभी लंबी अवधि के वीजा के तहत भारत आए हैं.

अफगानिस्तान में सिक्ख काफी लंबे समय से आतंकियों के निशाने पर हैं. भारत को चोट पहुंचाने के उद्देश्य से सिक्खों को निशाना बनाया जाता है. काबुल के गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले में 25 सिक्खों की मौत हुई थी. अफगानिस्तान में सिक्ख लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन व निकाह के मामले भी सामने आए हैं.

काबुल में सिक्ख समुदाय के नेता चाबुल सिंह ने बताया कि निदान सिंह अपहरण के दौरान हुए टॉर्चर के बाद से काफी बीमार हैं. निदान सिंह के साथ उनके रिश्तेदार को वीजा मिला है. काबुल हमले में मारे गए दो भाइयों का परिवार भी भारत जा रहा है. उनमें से एक की बेटी, जिसे जबरन शादी के चंगुल से बचाया गया, उसे भी भेजा जा रहा है.

मीडियो रिपोर्ट्स के अनुसार विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि अफगानिस्तान से सिक्ख और हिन्दू अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित 11 सदस्य भारत पहुंचे. 18 जुलाई को कैद से रिहा हुए निदान सिंह भी दिल्ली पहुंचने वालों में शामिल हैं. भारत ने सभी को भारत में यात्रा करने के लिए वीजा व अन्य सुविधाएं दी हैं.

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