करंट टॉपिक्स

हरियाणा – आंदोलन के नाम पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तो उपद्रवियों व नेतृत्व से होगी वसूली

Spread the love

चंडीगढ़. एक के बाद एक हो रहे आंदोलनों में संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की मंशा पर प्रहार करते हुए हरियाणा सरकार ने संपत्ति क्षति वसूली कानून लागू किया है. यह कानून किसी को भी आंदोलन करने की आजादी तो देता है, मगर उन्हें आंदोलन की आड़ में हिंसा व संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं देता.

विधानसभा के बजट सत्र में भारी हंगामे के बीच पारित संपत्ति क्षति वसूली विधेयक-2021 अब राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य की मुहर लगने के बाद कानून बन गया है. उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर हरियाणा में भी उपद्रवियों से भारी-भरकम जुर्माने की वसूली से लेकर जेल की सजा का प्रावधान किया गया है.

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि यदि आंदोलन के नाम पर निजी व सरकारी संपत्ति को सुनियोजित तरीके से क्षति पहुंचाई जाती है तो इसे लोकतांत्रिक आंदोलन नहीं कहा जा सकता. नागरिकों व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले आंदोलनों के नेतृत्व की जवाबदेही तय करनी जरूरी है. हम सुनिश्चित करेंगे कि किसी से भी अन्याय न हो.

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से बातचीत कर ट्रिब्यूनल के चेयरमैन के लिए किसी सेवानिवृत्त वरिष्ठ जज का नाम तय किया जाएगा. इसमें पुलिस महानिदेशक रैंक का अधिकारी भी शामिल होगा. ट्रिब्यूनल क्लेम कमिश्नर भी नियुक्त करेगा. विशेष बात यह कि ट्रिब्यूनल न तो स्थायी होगा और न ही पूरे प्रदेश के लिए. यह केवल उन जिलों में काम करेगा, जहां पर हिंसा से लोगों या सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है.

पीड़ित अपनी शिकायत उपायुक्तों को देंगे. जिसके बाद न केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी, बल्कि दंगों का आह्वान या अगुवाई करने वालों से भी रिकवरी की जाएगी. हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन का मामला हो या फिर कथित संत रामपाल की गिरफ्तारी और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत को सजा के बाद हुई हिंसा और आगजनी में हजारों करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है.

पिछले छह महीने से चल रहे किसान संगठनों के आंदोलन के दौरान भी जगह-जगह हिंसक टकराव से नुकसान हुआ है. ऐसे समय में राज्यपाल ने नए कानून पर हस्ताक्षर कर उन लोगों को सख्त संदेश दिया है जो आंदोलन की आड़ में गलत मंशा पाले हुए हैं. नया कानून लागू होने से आंदोलन करने वाले नेता यह दलील नहीं दे सकेंगे कि उनका आंदोलन तो शांतिपूर्ण था और बाहरी तत्वों ने हिंसा करके संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. हिंसा करने वालों से ही नहीं, आंदोलनकारियों का नेतृत्व करने वालों से भी नुकसान की भरपाई की जाएगी.

दस करोड़ रुपये तक का मुआवजा दिलाएगा ट्रिब्यूनल

ट्रिब्यूनल के गठन से मुआवजे के निर्धारण को न्यायसंगत व पारदर्शी बनाया जा सकेगा. ट्रिब्यूनल द्वारा संपत्ति को हुए नुकसान के बाबत मुआवजे के लिए आवेदन मांगे जाने पर 21 दिन के भीतर आवेदन करना होगा. ट्रिब्यूनल दस करोड़ रुपये तक के मुआवजे का निर्धारण कर सकेगा. जुर्माना न देने पर ब्याज सहित धनराशि वसूली जाएगी. इसके लिए खाते सील करने से लेकर संपत्ति कुर्क की जा सकती है. आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर सुरक्षा बलों को बुलाया जाता है तो उसका खर्च भी आंदोलनकारियों से वसूला जाएगा.

आंदोलन में कोई भी चल-अचल संपत्ति, वाहन, पशु, आभूषण सहित तमाम ऐसी संपत्ति, जिसकी कीमत एक हजार रुपये से अधिक है तो उसकी भरपाई के लिए दावा किया जा सकता है. यदि नुकसान हुई संपत्ति का बीमा है तो कंपनी से मिलने वाली राशि मुआवजे की राशि में समायोजित कर उतनी राशि बीमा कंपनी को वापस दे दी जाएगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *