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पाठ्यपुस्तक में अहम बदलाव; आर्टिकल 370 और POJK जैसे महत्वपूर्ण विषयों को किया शामिल

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने राजनीतिक विज्ञान की पुस्तक में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. अयोध्या बाबरी विध्वंस, गुजरात दंगा, पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर और भारत चीन गतिरोध जैसे कई चैप्टर में बदलाव किए गए हैं.

NCERT की पुस्तक में ‘चीन के साथ भारत के संबंध और स्थिति’ से जुड़े चैप्टर में बदलाव किया गया है. 12वीं में कंटेम्परेरी वर्ल्ड पॉलिटिक्स के दूसरे चैप्टर में भारत-चीन टाइटल के तहत भी बदलाव किया गया है. जहां पहले पुस्तक के पेज नंबर 25 पर लिखा था – ‘भारत-चीन के बीच के ‘सैन्य संघर्ष’ ने उम्मीद को खत्म कर दिया है. अब इस वाक्य की जगह लिखा है – भारतीय सीमा पर ‘चीन की घुसपैठ’ ने उम्मीद को खत्म कर दिया है. इस वाक्य से सैन्य संघर्ष शब्द को बदलकर अब घुसपैठ कर दिया गया है. इसके अलावा 2019 में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का जिक्र भी शामिल है.

पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंसमें बदलाव

पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस पुस्तक में ‘आजाद पाकिस्तान’ शब्द को ‘पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर’ यानि POJK शब्द से बदल दिया गया है. पुस्तक के पेज नंबर 119 में पहले लिखा था – ‘भारत ये मानता है कि इस इलाके पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है. पाकिस्तान इस हिस्से को आजाद पाकिस्तान कहता है’. अब पुस्तक में लिखा गया है – ‘ये भारत का हिस्सा है, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया है और इसे ही POJK यानी पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू कश्मीर कहा जाता है’.

आर्टिकल 370 को हटाने का जिक्र

पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस के पेज नंबर 132 पर आर्टिकल 370 को हटाने का जिक्र भी किया गया है. पहले इस पुस्तक में लिखा था – अधिकतर राज्यों के पास समान शक्तियां हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर और पूर्वी राज्यों के पास कुछ विशेष शक्तियां और प्रावधान हैं. अब पुस्तक में बताया गया है कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 राष्ट्रपति द्वारा 2019 में हटा दी गई.

NCERT के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी का कहना है कि पाठ्यपुस्तक में बदलाव किसी भी तरह से राजनीति का हिस्सा नहीं है. हमने दंगा शब्द को इसलिए हटाया क्योंकि हमें लगा कि स्कूली किताबों में दंगों के बारे में नहीं पढ़ाना चाहिए. ये बदलाव छात्रों को पॉजिटिव माहौल देने और राजनीति की समझ बढ़ाने के लिए किए गए हैं. शब्दों को बदला जा सकता है, हम उसी बात को मानते हैं, जो संविधान कहता है. जैसे हम भारत शब्द का उपयोग कर सकते हैं और हम इंडिया शब्द का भी उपयोग कर सकते हैं. इसमें कोई समस्या नहीं है, ये बेकार की बहस है.

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