पाकिस्तान में लंबे समय से अल्पसंख्यक समुदाय के लोग कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं. हिन्दू-सिक्ख-ईसाई समुदाय के लोगों को अगवा करना, उनसे मारपीट करना, उनके घर-बस्ती जलाना या बर्बर ईशनिंदा कानून के शिकंजे में फंसा देना…. इमरान खान के ‘नए पाकिस्तान’ की असलियत को पेशावर में दिनदहाड़े एक सिक्ख हकीम सतनाम सिंह की हत्या ने फिर से दुनिया के सामने उजागर कर दिया है.
30 सितम्बर को पाकिस्तान के पेशावर शहर में अज्ञात बंदूकधारियों ने सतनाम सिंह की उनके क्लीनिक में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी. सतनाम एक हकीम थे. मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले पर कार्रवाई तो शुरू कर दी है, लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. मौके पर पहुंचने के बाद पुलिस ने बताया कि हकीम सरदार सतनाम सिंह पर अज्ञात बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं. चार गोली लगने के बाद सतनाम सिंह ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. उनकी हत्या करने के बाद हत्यारे वहां से फरार हो गए.
पेशावर की चारसद्दा रोड पर हकीम सरदार सतनाम सिंह वर्षों से अपना क्लीनिक चला रहे थे. लोग हैरान हैं, किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर उनकी हत्या क्यों की गई है. सतनाम सिंह का किसी से कोई वैर भाव भी नहीं था.
घटना को लेकर पाकिस्तान के हिन्दू-सिक्ख और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय में जबरदस्त आक्रोश है. घटना ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के उस वादे की भी पोल खोल दी है कि जो उन्होंने पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय से किया था कि वे उनकी सुरक्षा का हर तरह से ख्याल रखेंगे. लेकिन, असल में पाकिस्तान में लगभग रोज ही अल्पसंख्यकों को कट्टरपंथी निशाना बना रहे हैं. पेशावर में हकीम सतनाम सिंह की हत्या ने एक बार फिर से पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय वालों दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को रेखांकित किया है.