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कोरोना काल में भी कारोबारियों के हौसले बुलंद, 52 हजार से नई कंपनियों का पंजीकरण

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नई दिल्ली. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण विश्व में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार थम सी गई थी. संकट के कारण देश सहित विश्व में अर्थव्यवस्था का हाल बेहाल रहा. कोरोना संकट के कारण तमाम आर्थिक गिरावटों, समस्याओं के बावजूद देश में नए कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं. कोरोना काल में हजारों नई कंपनियां प्रारंभ हुई हैं, संभव है कि रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए होंगे. कॉरपोरेट मंत्रालय के आंकड़ों से इसकी पुष्टि हुई है.

कॉरपोरेट मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कोरोना काल में अप्रैल से अगस्त के दौरान कुल 51,807 नई कंपनियों का पंजीयन करवाया गया है. साथ ही 3333 कंपनियों ने अपना पंजीयन को रद्द करने के लिए भी आवेदन किया. कोरोना संकट के कारण ऐसा लग रहा था कि नई कंपनियों के पंजीयन के लिए आवेदन नहीं आएंगे, या नाममात्र होंगे. लेकिन देश के लगभग सभी राज्यों से अच्छी संख्या में नई कंपनियों के आवेदन प्राप्त हुए.

कॉरपोरेट मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से अगस्त महीने के बीच महाराष्ट्र में सबसे अधिक 8677 नई कंपनियां पंजीकृत हुईं. उत्तरप्रदेश में भी उद्यमियों को कारोबार की अधिक संभावना दिख रही है. उत्तरप्रदेश में 5469 कंपनियों का पंजीयन हुआ. सेवा क्षेत्र का प्रमुख केंद्र बनती जा रही दिल्ली में कोरोना काल के दौरान 5803 कंपनियों के पंजीकरण हुए. औद्योगिक रूप से पिछड़े बिहार में भी अप्रैल से लेकर अगस्त में 1907 कंपनियों ने पंजीयन करवाया, झारखंड में 761 कंपनियों का पंजीयन हुआ. इसके अलावा हरियाणा में 2728, पंजाब में 755, उत्तराखंड में 486, हिमाचल में 199 कंपनियों के पंजीयन करवाया.

राजस्थान में भी उद्यमियों का रुझान बढ़ा, यहां पर 2025 नई कंपनियों के पंजीयन किए गए हैं. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार उत्तरप्रदेश में 959 कंपनियों ने पंजीयन को रद्द करने के लिए आवेदन दिए. दिल्ली में 625, हरियाणा में 134, पंजाब में 333, तमिलनाडु में 145, बिहार में 103, झारखंड में 17 कंपनियों की ओर से पंजीयन रद्द करने के आवेदन दिए गए. महाराष्ट्र में अप्रैल-अगस्त के दौरान किसी भी कंपनी ने अपने पंजीयन को रद्द करने के आवेदन नहीं दिए.

सरकार भी कंपनियों के संचालन में हर संभव सहायता कर रही है. सरकार एमएसएमई कंपनियों के बकाया भुगतान और सरकारी खरीद में उन्हें अधिक से अधिक अवसर देने के लिए नियम में बदलाव कर सकती है. नीति आयोग ने एमएसएमई संगठनों के साथ चर्चा की और उनसे सुझाव मांगे गए.

 

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