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आयकर विभाग ने जम्मू एवं कश्मीर में विभिन्न परिसरों की तलाशी ली

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जम्मू कश्मीर. आयकर विभाग ने 19 फरवरी को श्रीनगर में 100 से अधिक बेड वाले सबसे बड़े निजी मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल को संचालित करने वाले एक समूह पर तलाशी और जब्ती कार्रवाई की. श्रीनगर में स्थित चार आवासीय परिसरों सहित सभी सात परिसरों को तलाशी में शामिल किया गया.

समूह के मुख्य व्यवसाय में अस्पताल का संचालन, रियल एस्टेट और घरेलू उपभोक्ता वस्तुओं का व्यापार शामिल है.

यह समूह अलग-अलग करके छोटे टुकड़ों में भूमि के बड़े टुकड़े खरीदने तथा उन्हें एकत्रित करने के कार्य में संलिप्त है. इसके बाद वह भूमि को डेवलप करता है, उनके प्लॉट बनाता है तथा उन्हें बेच देता है. खरीदारों से नकदी में प्राप्त विवेचन (संपत्ति के पंजीकृत मूल्य से अधिक) के 50 प्रतिशत से अधिक के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जिन्हें तलाशी अभियान के दौरान जब्त किया गया है. नकदी में प्राप्त ऐसे विक्रय विवेचन पर कभी किसी प्रकार के कर का भुगतान नहीं किया गया है.

समूह ने वित्त वर्ष 2013-14 के बाद से नकदी में 100 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब संपत्ति का लेन-देन किया है. प्लॉट के खरीदारों द्वारा बैंकिंग माध्यमों के जरिए किए गए भुगतान/निवेश भी जांच के दायरे में हैं, क्योंकि प्रथम दृष्टया सत्यापन से प्रदर्शित होता है कि कर प्रदत्त आय के उपयोग द्वारा निवेश नहीं किया गया है. इस प्रकार न केवल विक्रेता समूह पर बल्कि मामलों के तथ्यों के आधार पर खरीदारों पर भी कर लगाया जाएगा. भूमि/भूखंडों की लगभग सभी खरीदों और विक्रयों पर टीडीएस में उल्लेखनीय चूक है.

इसके अतिरिक्त, तलाशी में संपत्ति के पंजीकृत मूल्य से अधिक विक्रय विवेचन के रूप में नकदी भुगतान के कारण राज्य सरकार/केन्द्र शासित प्रदेश को मिलने वाले स्टाम्प शुल्क की उल्लेखनीय चोरी का भी पता चला है. इस संबंध में समस्त विक्रय विवेचन पर स्टाम्प शुल्क लगाए जाने के लिए जम्मू एवं कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश प्राधिकरण के साथ सूचना साझा की जाएगी, जैसा कि जब्त किए गए दस्तावेजों तथा प्रचलित बाजार दरों के अनुसार सर्किल दरों की अधिसूचना से स्पष्ट है.

तलाशी के दौरान, यह भी देखा गया कि लोगों ने विभिन्न असंबंधित व्यक्तियों से उपहारों के रूप में बड़ी संख्या में प्लॉट/भूमि ली है और उन्होंने इसके लिए आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56 के तहत कोई आय भी प्रदर्शित नहीं की है, जबकि यह अन्य स्रोतों से आय के रूप में दान ग्रहण करने वालों के हाथों में कर के रूप में उत्तरदायी है. आयकर की चोरी के परिप्रेक्ष्य से दाताओं के मामले भी जांच के दायरे में हैं.

इसके अतिरिक्त, घरेलू उपभोग योग्य वस्तुओं के व्यापार से जुड़े इस समूह के एक करदाता ने वित्त वर्ष 2019-20 में छह महीनों में 2 करोड़ रुपये के बराबर की घरेलू उपभोग योग्य वस्तुओं की नकदी खरीद की है, जो उन कर प्रावधानों का उल्लंघन है, जिसमें एक समय में 10 हजार रुपये से अधिक का भुगतान केवल बैंकिंग चैनलों के माध्यम से अधिदेशित है.

तलाशी के दौरान विभिन्न बेनामी संपत्तियों का भी पता चला है और उन्हें जब्त किया गया है, उनकी भी जांच की जा रही है. अस्पताल के संचालन से हुई प्राप्तियों को छिपाने की भी जांच की जा रही है. वित्त वर्ष 2015-16 से अस्पताल द्वारा औसत टर्नओवर लगभग 10-12 करोड़ रुपये प्रदर्शित किया जा रहा है, जबकि जब्त किए गए साक्ष्यों से वास्तविक प्राप्तियां इनकी तुलना में चार गुने से भी अधिक प्रदर्शित हो रही हैं. वर्तमान वर्ष में विभिन्न डॉक्टरों को किए गए 3 करोड़ रुपये के नकदी भुगतान को प्रदर्शित करने वाले साक्ष्य भी तलाशी के दौरान जब्त किए गए हैं.

82.75 लाख रुपये की नकदी और 35.7 लाख रुपये के बराबर के आभूषण और सोना-चांदी भी जब्त की गई है, क्योंकि जिन संबंधित व्यक्तियों के संरक्षण में इन्हें पाया गया, वे इसके बारे में बता पाने में सक्षम नहीं थे. एक बैंक लॉकर भी सील किया गया है.

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