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आयकर विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाले समूह के कार्यालयों में छापेमारी की

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नई दिल्ली. आयकर विभाग ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत 22.07.2021 को एक प्रमुख व्यवसायी समूह पर तलाशी अभियान (छापे की कार्रवाई) चलाया. समूह मीडिया, बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों के कारोबार में शामिल है. समूह का 6000 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार है. समूह के मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, नोएडा और अहमदाबाद सहित 9 शहरों में फैले 20 आवासीय और 12 व्यावसायिक परिसरों में तलाशी अभियान चलाया गया.

समूह में होल्डिंग और सहायक कंपनियों सहित 100 से अधिक कंपनियां हैं. तलाशी के दौरान पता चला कि समूह अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियों का संचालन कर रहा है. जिनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों की बुकिंग और फंड के रूटिंग के लिए किया गया है. तलाशी के दौरान, कई कर्मचारियों, जिनके नाम शेयरधारकों और निदेशकों के रूप में इस्तेमाल किए गए थे, ने स्वीकार किया कि उन्हें ऐसी कंपनियों के बारे में पता नहीं था और उन्होंने अपने आधार कार्ड और डिजिटल हस्ताक्षर नियोक्ता को दिए थे. कुछ रिश्तेदार ऐसे भी मिले हैं, जिन्होंने स्वेच्छा से और जानबूझकर कागजात पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन कंपनियों की व्यावसायिक गतिविधियों का कोई जानकारी या नियंत्रण उनको नहीं था, जिसमें उन्हें निदेशक और शेयरधारक माना जाता था.

उदाहरण के लिए, बुक किए गए ऐसे फर्जी खर्चों के तरीके,  मानव शक्ति की आपूर्ति से लेकर परिवहन, लॉजिस्टिक और सिविल कार्य और काल्पनिक व्यापारिक लेन-देन में दिखाए गए हैं. इन तरीकों का इस्तेमाल 6 साल की अवधि में 700 करोड़ रुपये की आय छिपाई गई है. हालांकि यह राशि कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि समूह ने कई तरीकों का इस्तेमाल किया है और पूरे पैसे का पता करने के लिए जांच की जा रही है.

असंबंधित व्यवसायों में लगी समूह कंपनियों के बीच 2200 करोड़ रुपये की साइक्लिक ट्रेडिंग और पूंजी का ट्रांसफर शामिल है.

पूछताछ में पुष्टि हुई है कि ये लेन-देन वास्तविक नहीं है. और माल की डिलीवरी भी काल्पनिक है. इस संबंध में कर प्रभाव और अन्य कानूनों के उल्लंघन की जांच की जा रही है.

समूह एक मॉल का भी संचालन करता है. इस अचल संपत्ति के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक से 597 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया था. इसमें से 408 करोड़ की रकम 1% की कम ब्याज दर पर ऋण के रूप में एक दूसरी कंपनी को ट्रांसफर कर दी गई. हालांकि रियल एस्टेट कंपनी अपने कर योग्य लाभ से ब्याज के खर्च का दावा कर रही है. इस रकम को होल्डिंग कंपनी के व्यक्तिगत निवेश के लिए डायवर्ट किया गया है.

शेयर बाजार में सूचीबद्ध यह मीडिया कंपनी विज्ञापन राजस्व के लिए बार्टर सौदे करती है. जिससे अचल संपत्ति वास्तविक भुगतान के बदले प्राप्त होती है. ऐसी संपत्तियों की बाद में बिक्री के संबंध में नकद प्राप्ति के भी संकेत देने वाले सबूत पाए गए हैं. यह मामला आगे की जांच के अधीन है.

ऐसे सबूत भी मिले हैं कि समूह रियल्टी क्षेत्र के फ्लैट की बिक्री नकद रूप में कर रहा है. इसकी पुष्टि कंपनी के 2 कर्मचारियों और 1 निदेशक ने भी की है. इन तरीकों को अपनाकर लेन-देन की पुष्टि करने वाले दस्तावेज भी मिले हैं.

समूह के प्रमोटर और प्रमुख कर्मचारियों के घरों से कुल 26 लॉकर मिले हैं, जिनका संचालन किया जा रहा है. तलाशी अभियान के दौरान मिली प्रमुख वस्तुओं की जांच की जा रही है.

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