करंट टॉपिक्स

चीन पर कच्चे माल की निर्भरता कम करेगी भारत की फार्मा कंपनियां

Spread the love

नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बना हुआ है और सभी देश कोरोना वैक्सीन की खोजे जाने का इंतजार कर रहे हैं. संभावना है कि सितंबर तक कोरोना की वैक्सीन विकसित कर ली जाएगी, लेकिन यहां से असली चुनौती की शुरुआत होगी.

दुनिया की 7 अरब से ज्यादा की आबादी में फैल चुके कोरोना वायरस की वैक्सीन को सब तक पहुंचाना बहुत बड़ी चुनौती होगा. इसके साथ ही कम समय में इतनी बड़ी संख्या में वैक्सीन का उत्पादन करना भी कठिन काम है. ऐसे में पूरा विश्व भारत की फार्मा इंडस्ट्री की तरफ देख रहा है, भारत दुनिया में वैक्सीन का सबसे बड़ा उत्पादक है. हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने भी कहा कि भारत की फार्मा इंडस्ट्री पूरी दुनिया के लिए कोरोना वायरस वैक्सीन का निर्माण करने में सक्षम है..

भारत की फार्मा कंपनियां कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए दुनिया के सबसे विकसित अनुसंधान केंद्रों के साथ काम कर रही है. इसके साथ ही भारत में भी कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च जारी है. एक तरफ फार्मा इंडस्ट्री भारत की ताकत है, वहीं दूसरी तरफ यह कंपनियां कच्चे माल के लिए चीन से आयातित सामानों पर निर्भर हैं. भारत की सरकार ने चीन पर इस निर्भरता को खत्म करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं.

देश में चल रहे चीनी उत्पादों के चौतरफा बहिष्कार के बीच दवा उत्पादन के लिए कच्चे माल के आयात को कम करने के लिए पहल शुरु कर दी गई है. कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर फार्मा सेक्टर ने देश में ही कच्चे माल की उपलब्धता के लिए प्रयास शुरू कर दिया है. केन्द्र सरकार ने भी अपनी ओर से कदम उठाना शुरू कर दिया है. चीन सहित दूसरे देशों पर निर्भर न होना पड़े, इसके लिए सरकार ने ऐसी 53 दवाओं का चयन किया है, जिनके उत्पादन में प्रयोग होने वाला कच्चा माल विदेशों से मंगाया जाता है. कोरोना काल में शुरू की गयी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत पहले से स्थापित दवाओं का कच्चा माल तैयार करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाएगा. नए उद्यमियों को भी ऑफर दिया गया है.

भारत में होता है सबसे अधिक दवाओं का उत्पादन

विश्व भर में दवा उत्पादन के मामले में भारत पहले स्थान पर है. भारत से दूसरे देशों को दवाएं निर्यात की जाती हैं. दवा उत्पादन में प्रयोग होने वाले कच्चे माल एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रीडीएंट का 80 फ़ीसद आयात चीन से होता है. इसी कारण भारत ने अब कच्चे माल की देश में उपलब्धता के लिए कदम बढ़ाए हैं.

उद्योग निदेशालय के अनुसार फार्मा इंडस्ट्री को वार्षिक औसतन 5000 से 5200 क्विंटल कच्चे माल की जरूरत होती है. इसमें से लगभग 3700 से 4200 क्विंटल कच्चे माल का आयात चीन से हो रहा है. वर्तमान में देश में गुजरात के बड़ोदरा और महाराष्ट्र के नागपुर में कुछ यूनिटें कच्चा माल तैयार करती हैं. जिससे कुल 20 से 25 फीसद मिल पाता है. अनलॉक के पहले महीने में भारतीय कंपनियों ने चीन से करीब 150 करोड़ रूपये के कच्चे माल का आयात कम किया है, जो कुल कारोबार का लगभग 25 फीसद है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *