प्रयागराज. तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित के भाव को लेकर देशभक्तों ने सामूहिक वंदेमातरम गीत गाकर प्रयाग की धरती पर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया. अमृत महोत्सव समिति प्रयाग द्वारा रविवार को सामूहिक वन्देमातरम गान का आयोजन किया गया था.
मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि ‘स्व’ के आधार पर देश को विकसित करने पर ही देश विश्व गुरु बन सकेगा. इसके लिए सभी से अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर करने तथा निमंत्रण पत्र में अपनी भाषा का प्रयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा कि स्वत्व का जागरण कर भारत को शक्तिशाली तथा विश्व गुरु के पद पर आसीन किया जा सकता है. इसके लिए स्वदेशी तकनीक, स्व-भाषा का प्रयोग तथा स्वधर्म का अनुगमन करना होगा. राष्ट्रभक्ति के ज्वार को जन-जन में फैलाना आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है. जब तक ध्येय न पूरा होगा, तब तक पग की गति न रुकेगी.
चंद्रशेखर आजाद, त्रिलोकीनाथ कपूर आदि बलिदानियों की धरती पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति और इसकी प्राचीन संस्कृति इसका प्राण है. आध्यात्मिक शक्ति से देश को बलशाली बनाये जाने की आवश्यकता है. कहा कि भारत के स्वत्व को बचाना है तो आध्यात्मिक शक्ति को बचाना ही होगा. स्वेतलाना के अनुभवों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रयाग की धरती आध्यात्मिक शक्ति से भरपूर है. विदेशियों को भी यहां से आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है. भारत रामकृष्ण, शिवाजी, राणा प्रताप, गुरु नानक, गुरु गोविंद सिंह, गंगा और गीता की आध्यात्मिक भूमि है. आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित कर देश की सांस्कृतिक धारा को मजबूत बनाने से श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो सकेगा. इस संदर्भ में कवि रसखान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और सनातन धर्म एक है. भारत तो प्रयाग के अक्षयवट की तरह है. अनेकों विदेशी हमलावरों ने कई बार नष्ट करने की चेष्टा की, लेकिन अपनी मजबूत जड़ों के कारण यह पुनः पल्लवित पुष्पित हो गया. जिस देश की जड़ें मजबूत होती हैं, उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता.
यह अमृत महोत्सव देश को अपनी जड़ों की पहचान कराने तथा उसे मजबूत बनाने का उत्सव है. उन्होंने याद दिलाया कि स्वाधीनता किसी एक परिवार की बदौलत नहीं मिली, बल्कि इसके लिए किसानों, मजदूरों, नौजवानों, माताओं-बहनों को अपना बलिदान देना पड़ा. आज के दिन बलिदानियों से प्रेरणा लेने का दिन है. बलिदानों की प्रेरणा से ही प्रखर देशभक्ति का जागरण हो सकेगा जो अमृत महोत्सव का मूल उद्देश्य है.
कार्यक्रम अध्यक्ष उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर यादव ने कहा कि एकता की कमी से हमें गुलाम होना पड़ा और विदेशियों ने हम पर शासन किया. इसलिए एकता बनाए रखें. राम-कृष्ण, गंगा, गीता, शिवाजी, राणा प्रताप के प्रति देशवासियों में सम्मान का भाव बना रहेगा तो देश को गुलाम बनाने की हिम्मत कोई नहीं कर सकेगा.
समारोह स्थल पर 75 कलश से सजावट, 75 फीट की रंगोली, 75 महापुरुषों की अलग-अलग परिधानों में झांकी आकर्षण का केंद्र थी.