नई दिल्ली. कुलभूषण जाधव केस में भारत को बड़ी सफलता मिली है. भारत की कूटनीति तथा अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे पाकिस्तान को झुकना पड़ा है. पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव, सजा-ए-मौत के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकेंगे. चार साल पहले जासूसी के आरोप में उन्हें मिलिट्री कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी.
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान के उच्च सदन ने बुधवार को ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (रिव्यू एंड री-कन्सीडरेशन) ऑर्डिनेंस 2020’ को मंजूरी प्रदान की. यह बिल करीब 5 महीने पहले पाकिस्तान के निचले सदन (नेशनल असेंबली) से पारित हुआ था. पाकिस्तान के राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून बन जाएगा.
भारत प्रारंभ से ही कहता रहा है कि कुलभूषण जाधव एक पूर्व नौसेना अधिकारी है, जिसे ईरान के चाबहार पोर्ट से अपहृत किया गया था. वो उस दौरान बिजनेस के सिलसिले में चाबहार पोर्ट पर थे. अपहरण के बाद कुलभूषण को पाकिस्तान की सेना को सौंप दिया था.
भारत ने आईसीजे में अपील दायर की थी. आईसीजे ने जुलाई 2019 में निर्णय दिया था कि पाकिस्तान को जाधव को दोषी ठहराने और सजा सुनाने संबंधी फैसले की समीक्षा करनी चाहिए. साथ ही कहा था कि बिना किसी देरी के भारत को जाधव के लिए राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराने देने का भी मौका देना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने 2019 के फैसले में पाकिस्तान को, जाधव को दी गई सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराने को कहा था.