करंट टॉपिक्स

कांकेर ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी, सुरक्षा बलों ने 29 माओवादी किए थे ढेर

Spread the love

कांकेर (छत्तीसगढ़) में 16 अप्रैल, 2024 को सुरक्षाकर्मियों ने 29 माओवादी आतंकियों को मार गिराया था. मारे गए माओवादियों में 15 महिला माओवादी भी शामिल थीं.

मारे गए नक्सलियों में माओवादी कमांडर शंकर राव और ललिता माड़वी की पहचान भी हुई है. बीएसएफ और डीआरजी द्वारा किया गया यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सलवाद के विरुद्ध अब तक की सबसे बड़ी सफलता है.

सुरक्षा बल के जवानों ने इस ऑपरेशन को कैसे अंजाम दिया और अब तक ऐसी कामयाबी क्यों नहीं मिल पा रही थी? आइए इस पूरी रणनीति को समझते हैं, कि कैसे माओवादी आतंक को खत्म करने की दिशा में आक्रामक नीति अपनाई जा रही है.

बस्तर रेंज के पुलिस आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि पुलिस को एक खुफिया पॉजिटिव इनपुट मिला था कि उत्तर बस्तर डिवीजन के हार्डकोर माओवादी आतंकी शंकर राव, ललिता माड़वी, राजू सहित करीब 4 दर्जन से अधिक माओवादी क्षेत्र में मौजूद हैं.

ये सभी माओवादी बीनागुंडा से हापाटोला के बीच रहकर किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे. जानकारी की पुष्टि होने के बाद मंगलवार (16 अप्रैल) को ही छोटेबेठिया से बीएसएफ और डीआरजी की एक संयुक्त टीम को सर्च ऑपरेशन के लिए हापाटोला के जंगल की ओर भेजा गया.

दोपहर 2 बजे जंगल में पहले से घात लगाए बैठे माओवादियों ने जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने भी जवाबी कार्रवाई की, जिसमें 29 नक्सली मारे गए.

करीब साढ़े पांच घंटे चली मुठभेड़ के बाद जब जवानों ने घटनास्थल की तलाशी ली तो उन्हें माओवादियों के शव, बड़ी संख्या में एके-47 रायफल, इंसास रायफल, थ्री नॉट थ्री बंदूक सहित गोला बारूद भी बरामद किया.

फोर्स द्वारा मुठभेड़ में 29 नक्सलियों को मार गिराए जाने के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है कि केंद्र और राज्य की सरकार ने माओवादी आतंक को जड़ से खत्म करने की पूरी योजना बना ली है.

दरअसल हापाटोला के जंगल में जिस तरीके से सुरक्षाकर्मियों ने माओवादियों को ढेर किया, उसके पीछे की रणनीति पहले ही बन चुकी थी, जिसके बाद से सुरक्षा बल के जवान अभियान के लिए खुद को तैयार कर रहे थे.

पूरे अभियान में अग्रणी भूमिका निभाने वाले बीएसएफ के डीआईजी आलोक सिंह ने ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि ‘जिस अबूझमाड़ से लगे क्षेत्र में फोर्स ने मुठभेड़ को अंजाम दिया, वह अत्यधिक कठिन क्षेत्र है.’

उन्होंने बताया कि बीएसएफ का यह ऑपरेशन पूरी तरह इंटेलिजेंस के आधार पर था, जिसमें बड़ी सफलता मिली है. ऑपरेशन से पहले दो दिन से बीएसएफ को इंटेलिजेंस इनपुट्स आ रहे थे, जिसके बाद अभियान की योजना बनाई गई.

पुलिस और बीएसएफ की टीम उस पूरे क्षेत्र में बीते महीने से ही नक्सल ऑपरेशन के लिए तैयारी कर रही थी. चूंकि यह क्षेत्र नक्सलियों का एक बड़ा गढ़ माना जाता है, इसीलिए बीएसएफ और पुलिस ने अपनी रणनीति में भी बदलाव किया.

फोर्स ने ‘हार्ड परस्यूड’ और ‘ट्राय फ़ॉर हंट’ की नीति अपनाई, जिसके तहत उन्होंने कम समय में ही आक्रामक अभियान किए और सीधे मुठभेड़ों में माओवादियों को मार गिराने में सफलता हासिल की.

नक्सलियों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि हम पहाड़ियों की पूर्वी दिशा से ऑपरेशन करेंगे, जिसके कारण उनकी पूरी साजिश धरी की धरी रह गई, और इसी कारण पहली बार ऐसा हुआ कि बड़े स्तर के इतने माओवादी आतंकी एक साथ मारे गए.

अब तक क्यों नहीं मिल रही थी सफलता?

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 से 2023 के बीच भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. इस सरकार के दौरान ना सिर्फ नक्सलियों के हौसले बुलंद थे, बल्कि नक्सली नेताओं की ‘टारगेट किलिंग’ भी कर रहे थे.

पूरे बस्तर क्षेत्र में कांग्रेस की सरकार के दौरान नक्सलियों ने अपने संगठन में विस्तार किया और विभिन्न आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया. वहीं सरकार की नीतियों, उनके कम्युनिस्ट सलाहकारों और ‘नक्सल सहानुभूति’ के चलते स्थिति ऐसी हो चुकी थी कि सुरक्षा बल के जवान मारे जा रहे थे.

रिपोर्ट्स के अनुसार, सीआरपीएफ के ही अधिकारी ने कहा था कि भूपेश सरकार द्वारा सुरक्षा बलों के कैंप की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के कारण फोर्स के जवान बेवजह मारे जा रहे हैं. उनका कहना था कि भूपेश सरकार जानबूझकर कैंप से जुड़ी गोपनीय जानकारी लीक कर दे रही है.

इसके अलावा सुरक्षा बलों पर आक्रामक ऑपरेशन नहीं चलाने का दबाव और साथ ही अर्बन नक्सलियों से सांठगांठ ने बस्तर को एक बार फिर लाल आतंक के साये में धकेल दिया था.

प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद जैसे भाजपा ने कमान संभाली, वैसे ही पहले तो माओवादियों ने जमकर आतंक मचाया, आगजनी की, ग्रामीणों की हत्या की, भाजपा नेताओं की टारगेट किलिंग्स हुई, लेकिन इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने राजधानी रायपुर में बैठक ली, जिसके बाद तस्वीर बदल गई.

जनवरी 2024 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में माओवाद की समस्या पर समीक्षा बैठक ली थी, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे. बैठक में अमित शाह ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि माओवादियों के विरुद्ध आक्रामक अभियान चलाया जाए.

इसी बैठक में माओवादियों के खात्मे के रोडमैप को अंतिम रूप दिया था. बैठक के बाद पूरे राज्य, विशेषकर बस्तर में, माओवादियों के विरुद्ध खुफिया तंत्र को मजबूत किया गया, और माओवादियों के वित्तीय तंत्र को ध्वस्त करने की रणनीति बनाई गई.

जिस तरह कश्मीर से आतंकवाद के खात्मे के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों एवं सेना ने ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ की रणनीति बनाई थी, ठीक उसी तरह की रणनीति को बस्तर में उतारा गया है. इस रणनीति की योजना को अंतिम स्वरूप एक सप्ताह पहले ही दिया गया था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *