पाकिस्तान-चीन के नैरेटिव को आगे बढ़ाकर भारत की वैचारिक संप्रभुता को कमजोर तो नहीं कर रहा मीडिया?

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भारत विरोधी नैरेटिव – अब इंडियन न्यूज़ रूम में पाकिस्तान-चीन का ‘हाफ फ्रंट’

पहलगाम आतंकी हमले के बाद, पूरे देश में इन्फ़र्मेशन वॉर भी चल रहा है। जिसमें भरतीय मीडिया का भी एक हिस्सा पाकिस्तान और चीन का नैरेटिव परोसने में जुटा है। Deccan Herald, Times of India (TOI), Sportskeeda और कई अन्य डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स ने अपनी रिपोर्टिंग में कश्मीर को “Indian Occupied Kashmir” या “India-administered Kashmir” कहकर संबोधित किया है। यह केवल शब्दों की चूक नहीं है; वास्तव में वैचारिक आक्रमण है। एक ऐसे विचार का प्रचार था, जिसे लंबे समय से पाकिस्तान और चीन अपने “0.5 फ्रंट” रणनीति के तहत आगे बढ़ा रहे हैं –  बिना गोली चलाए, बिना टैंक भेजे, भारत की नींव को कमजोर करना।

इसे समझने के लिए हमें ‘Broken Windows Theory’ को समझना होगा, जिसे वर्ष 1982 में जेम्स क्यू. विल्सन और जॉर्ज केलिंग द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार, यदि किसी इमारत की एक खिड़की टूटी हो और उसे तुरंत ठीक न किया जाए, तो वहां और खिड़कियाँ टूटने लगती हैं। यही सिद्धांत मीडिया और वैचारिक युद्ध पर भी लागू होता है।

जब TOI जैसा प्रतिष्ठित समाचार पत्र “Indian administered Kashmir” लिखता है, वह एक वैचारिक खिड़की को तोड़ता है। जब Deccan Herald इसे दोहराता है, दूसरी खिड़की टूटती है। और जब Sportskeeda जैसे प्लेटफ़ॉर्म इसे सामान्य बना देते हैं, तो पूरी इमारत की खिड़कियाँ ढहने की स्थिति में आ जाती हैं।

कोई भी अनुभवी संपादक या संवाददाता “Indian administered Kashmir” जैसे शब्दों का प्रयोग ‘अनजाने में’ नहीं करता। यह शब्द अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पाकिस्तान का आधिकारिक प्रोपेगैंडा टूल है, जो दशकों से संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक मंचों पर फैलाया जा रहा है। पाकिस्तान इसे ‘IOK’ कहता है – Indian Occupied Kashmir – और उसी भाषा को अब मीडिया द्वारा दोहराया जाना एक साजिश का हिस्सा ही तो है।

पाकिस्तान और चीन का 0.5 फ्रंट युद्ध का नया रूप है – न साइबर अटैक, न मिसाइल – बस विचार और शब्दों से राष्ट्र की छवि को खंडित करना। यह वही रणनीति है, जिससे चीन ताइवान को ‘breakaway province’ और तिब्बत को ‘internal matter’ साबित करता है।

पहलगाम आतंकी हमले में आतंकियों ने हिन्दू यात्रियों की जान ली। यह धार्मिक नरसंहार था, जिसे इस्लामी कट्टरपंथियों ने अंजाम दिया। कुछ मीडिया संस्थानों ने रिपोर्टिंग के दौरान इसे ‘violence in Indian administered Kashmir’ जैसे शब्दों में प्रस्तुत किया।

केवल पीड़ितों का अपमान नहीं हुआ – यह भारत की संप्रभुता पर सीधा हमला था। यह संदेश था कि मीडिया का एक हिस्सा अब दुश्मन के नैरेटिव को बिना किसी शर्म या भय के दोहरा रहा है।

यह फ्री-स्पीच का मामला नहीं है। यह संविधान, राष्ट्रीय अखंडता और भारत की विदेश नीति के विरुद्ध किया गया कृत्य है। अमेरिका में कोई मीडिया संस्थान यदि अपने ही देश को “US Occupied Texas” कहे, तो वह अगले दिन बंद हो जाएगा।

चीन में यदि कोई आउटलेट ताइवान को “Independent Taiwan” कहे, तो संपादक जेल में होगा। लेकिन भारत में कश्मीर के मामले में यह नरमी क्यों?

अब भारत सरकार को यह स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि राष्ट्रीय अखंडता पर समझौता करने वाली पत्रकारिता देशद्रोह के अंतर्गत आएगी। Information and Broadcasting Ministry को तत्काल कारण बताओ नोटिस भेजना चाहिए। Press Council of India को मामलों की निष्पक्ष जांच कर संपादकों पर जुर्माना, लाइसेंस रद्दीकरण, या आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश करनी चाहिए।

साथ ही, संसद को एक स्पष्ट क़ानून लाना चाहिए, जिसमें मीडिया आउटलेट्स पर कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों के संदर्भ में गलत शब्दों के प्रयोग को “National Integrity Offense” माना जाए।

इसके साथ ही राष्ट्रीय मीडिया नीति में यह स्पष्ट किया जाए कि कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है। किसी भी शब्द या भाषा जो इसके विपरीत संकेत दे, उसे राष्ट्र विरोध समझा जाएगा।

सरकार को, समाज को, और हर जागरूक नागरिक को यह समझना होगा – कश्मीर पर “Indian administered Kashmir” कहना केवल एक ‘लिखने की भूल’ नहीं है; यह विचारधारा की गद्दारी है। हमें हर टूटी खिड़की को तुरंत ठीक करना होगा, वरना पूरी इमारत हमारे देखते-देखते ढह सकती है।

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