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पत्रकार की लेखनी में भारत निर्माण का भाव होना आवश्‍यक – सुभाष जी

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लखनऊ।

विश्‍व संवाद केन्‍द्र लखनऊ तथा पत्रकारिता व जनसंचार विभाग लखनऊ विश्‍वविद्यालय के संयुक्‍त तत्‍वावधान में आयोजित ‘लोकमंगल की पत्रकारिता एवं राष्‍ट्रधर्म’ विषयक विचार गोष्‍ठी में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्‍तर प्रदेश क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष जी ने कहा कि ‘एक पत्रकार ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की भावना के साथ पत्रकारिता करके लोकमंगल का आह्वान करता है। पत्रकार अपनी कार्यशैली से समाज का मार्गदर्शन करने का कार्य करता है। उसकी लेखनी में भारत निर्माण का भाव होना चाहिये।’

आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जी की जयंती के उपलक्ष्‍य में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पत्रकार एक योद्धा होता है। वह देश और समाज के विकास कार्य में अपने जीवन को गलाता है। आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जी पौराणिक काल में एक आदर्श पत्रकार की भूमिका निभाते हुए संदेश का सम्‍प्रेषण करते थे। मगर उन्‍हें एक विदूषक की भांति फिल्‍मों में प्रचारित किया गया।

उन्‍होंने 80 के दशक में पंजाब के हालातों का वर्णन करते हुए कहा कि पंजाब केसरी समाचार पत्र के सम्‍पादक लाला जगतनारायण ने उस समय अपनी पत्रकारिता से राष्‍ट्रधर्म का मान रखते हुए समाज में व्‍याप्‍त आतंक का विरोध किया। उनकी हत्‍या कर दी गयी, लेकिन उन्‍होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में जो कार्य किया, वह वंदनीय है। इसी प्रकार दैनिक जागरण के सम्‍पादक रहे नरेंद्र मोहन जी की पत्रकारिता का वर्णन करते हुए कहा कि वे पत्रकारिता के धर्म का पूर्ण पालन करते थे। साथ ही, गीता प्रेस गोरखपुर के हनुमान प्रसाद पोद्दार जी का उल्‍लेख करते हुए कहा कि सम्‍मान और धन कमाने की लालसा को त्‍यागकर उन्‍होंने जिस प्रकार अपनी लेखनी से धर्म का प्रचार एवं प्रसार किया, वह अविस्‍मरणीय है। उन्‍होंने कहा कि एक पत्रकार की लेखनी में भारत निर्माण का भाव होना चाहिये। उसे अपनी लेखनी से सदैव ही लोकमंगल की कामना करनी चाहिये। रामचरितमानस में भी नारद जी का वर्णन आते ही तुलसीदास जी ने उनकी व्‍याख्‍या एक कोमल हृदय वाले व्‍यक्ति के समान की है। अत: एक पत्रकार का हृदय कोमल होना चाहिये ताकि वह भाव समझ सके।

कोई भी सूचना देश की सुरक्षा से बड़ी नहीं

विशिष्‍ट अतिथि टाइम्‍स ऑफ इंडिया के स्‍थानीय सम्‍पादक प्रवीण कुमार जी ने कहा कि आधुनिक युग की पत्रकारिता के देवर्षि नारद प्रणेता रहे हैं। उनकी कार्यशैली बिल्‍कुल एक पत्रकार की तरह थी। नारद जी को एक विदूषक की तरह प्रस्‍तुत किया गया जो पूरी तरह से गलत है। नारद जी ने अपनी कार्यशैली से राष्‍ट्रहित और जनहित की पत्रकारिता का परिचय दिया है। हर कालखंड में आरम्‍भ किया गया समाचार पत्र लोक कल्‍याण की भावना को बढ़ावा देने के साथ किया गया।

कठिन विषयों को आसानी से समझाना एक पत्रकार की विशेषता होनी चाहिये। उसे जनता से सीधा संवाद स्‍थापित करके समस्‍या को उजागर करना चाहिये। उसकी लेखनी में सद्भावना होनी चाहिये। उन्‍होंने एक गम्‍भीर विषय पर प्रश्‍न उठाते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के समय कई पत्रकार गलत तरीके से पत्रकारिता करते हुए देशहित से उलट कार्य कर रहे थे। वर्तमान में सूचना का प्रसारण करते समय ऐसी गलतियों से राष्‍ट्र का अहित होता है। अत: यह जानना आवश्‍यक है कि कौन सी सूचना कितनी बतानी चाहिये। कोई भी सूचना देश की सुरक्षा से बड़ी नहीं है।

सदैव राष्‍ट्रधर्म का भाव लेखनी में हो

मुख्‍य अतिथि दैनिक जागरण के प्रदेश सम्‍पादक आशुतोष शुक्‍ल जी ने कहा कि एक पत्रकार समाज में रहते हुये भी समाज से विरक्‍त रहकर समाज को जागरूक करने का कार्य करता है। लोकमंगल की बात करेंगे तो राष्‍ट्रधर्म की ही बात होगी। एक पत्रकार को सदैव राष्‍ट्रधर्म का भाव अपनी लेखनी में रखना चाहिये। पत्रकारों को कोई पसंद नहीं करता क्‍योंकि वह समाज को आईना दिखाने का कार्य करता है। फिर भी पत्रकार को अपना दायित्‍व निभाते हुये सच्‍चाई को उजागर करते रहना चाहिये। उन्‍होंने बताया कि एक पत्रकार की धमक उसकी बीट पर गूँजती है। उसके समाचारों में मात्र निंदा नहीं होनी चाहिये। उसमें समस्‍या का समाधान भी निहित होना चाहिये। नकारात्‍मकता को बढ़ावा देना पत्रकारिता नहीं है। उन्‍होंने कहा कि देशहित सर्वोपरि होना चाहिये। देशहित ही सबसे बड़ा धर्म है। राष्‍ट्रधर्म के भाव के साथ ही पत्रकारिता की जानी चाहिये। एक पत्रकार को निरन्‍तर अध्‍ययन करना चाहिये। अध्‍ययन करने से ही उसकी लेखनी में जोर आता है। उन्‍होंने सोशल मीडिया के सम्‍बंध में कहा कि आज के दौर में हर आदमी न्‍यायाधीश की भूमिका निभाने लगा है, जो उचित नहीं है। यदि आपके आस-पास समाज में कुछ भी अनुचित होता दिखे और आप उसे रोकने की इच्‍छा रखते हैं, प्रयास करते हैं तो आप एक पत्रकार हैं।

पत्रकारिता में जवाबदेही जरूरी

कार्यक्रम के अध्‍यक्ष लखनऊ विश्‍वविद्यालय के उपकुलपति आलोक राय जी ने कहा कि पत्रकारिता में जवाबदेही का होना बहुत आवश्‍यक है। बिना जवाबदेही के किया समाचार लेखन व प्रसारण मात्र समाचार का सम्‍प्रेषण है, पत्रकारिता नहीं। आज भी कई बार विश्‍वविद्यालय में व्‍याप्‍त समस्‍याओं की जानकारी हमें समाचार पत्रों के माध्‍यम से होती है, उस समस्‍या को दूर करने का कार्य किया जाता है। यही कारण है कि बीते कुछ वर्षों में एलयू में कई प्रकार के विकास कार्य हुए जो शहर और प्रदेश के लिये गौरव का विषय बने। उन्‍होंने बताया कि विदेशी छात्रों का कैम्‍पस में पंजीकरण बढ़ा है। इससे एलयू की मजबूत होती साख का पता चलता है।

पुस्‍तक विमोचन : कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्‍य सदस्‍यों का राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के अवध प्रांत के प्रचार प्रमुख डॉ. अशोक दुबे जी ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में मंच पर विश्‍व संवाद केन्‍द्र न्‍यास के अध्‍यक्ष नरेंद्र भदौरिया जी भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कृतिका अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर डॉ. सौरभ मालवीय रचित पुस्‍तक ‘भारतीय पत्रकारिता के स्‍वर्णिम हस्‍ताक्षर’ का विमोचन किया गया।

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