संगीत के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प – रिकी केज
नई दिल्ली. ‘पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रभावशाली व्यक्तित्व की भूमिका’ विषय पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि द्वारा रविवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित संगीतकार रिकी केज ने विशिष्ट अतिथि के रूप में हिस्सा लिया. पीपल बाबा के नाम से विख्यात स्वामी प्रेम परिवर्तन जी आयोजन के मुख्य अतिथि थे. इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के संयोजक गोपाल आर्य भी उपस्थित थे.
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए रिकी केज ने पर्यावरण प्रहरी बनने की अपनी कहानी साझा की. उन्होंने कहा कि संगीत और प्रकृति एक दूसरे से जुड़े हैं. संगीत की शुरुआत पशु पक्षियों की आवाज से हुई है. अगर सरल शब्दों में कहूं तो संगीत का जन्म प्रकृति से ही हुआ है. धरती पर रहने वाले सभी जीवों को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें पशु पक्षियों को बचाने के लिए प्रयत्न करने होंगे. मेरी कोशिश है कि संगीत के जरिए पर्यावरण को संरक्षित कर सकूं. वसुधैव कुटुंबकम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सभी धर्मों से इतर हमें मनुष्यता के लिए काम करना चाहिए. पर्यावरण को बचाने के लिए हमें अपनी मातृभूमि को समझना होगा.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी प्रेम परिवर्तन जी ने कहा कि पेड़ लगाना महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि हम उन्हें मरने न दें. उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षिका ने हमें बताया था कि अगर पेड़ मर जाते हैं, तो हमें पाप लगता है. उनकी यह बात ध्यान में रखते हुए मैं आज भी पेड़ों को मरने नहीं देता. 26 जनवरी, 1977 को मैंने पहली बार 9 पेड़ लगाए थे. इसके बाद ये क्रम अनवरत जारी है.
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के संयोजक गोपाल आर्य ने पर्यावरण गतिविधि द्वारा देशभर में प्रकृति को बचाने के लिए किए जा रहे तमाम उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे बीच एक इको टेररिज्म खड़ा हो गया है, जो पूरे विश्व के सामने एक चुनौती के रूप में खड़ा है. इस पृथ्वी पर मनुष्य सबसे छोटा हिस्सा है, लेकिन उसने पर्यावरण को बहुत चोट पहुंचाई है. संगोष्ठी में उपस्थित लोगों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आप सबके द्वारा हम घर-घर तक पर्यावरण का विषय लेकर जाएंगे और हर घर को हम हरित घर बनाने का प्रयास करेंगे.
कार्यक्रम में सबसे छोटी पर्यावरण प्रहरी के रूप में उपस्थित एवं राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री द्वारा बाल पुरस्कार से सम्मानित 7 वर्षीय ईहा दीक्षित ने पर्यावरण प्रहरी बनने की अपनी कहानी लोगों के बीच साझा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पर्यावरण संरक्षण पर हुई बातचीत को भी उन्होंने बताया. ईहा ने कहा कि मैं चौथी कक्षा में हूं और मेरे बारे में सातवीं कक्षा की किताब में पढ़ाया जाता है. ईहा दीक्षित हर रविवार को अपनी टीम के साथ पौधे लगाती हैं. ईहा ने बताया कि वह न केवल पौधे लगाती हैं, बल्कि उनका संरक्षण भी करती हैं.
आयोजन के अंत में प्रश्नोत्तर का सत्र भी रख गया. कार्यक्रम में लगभग 300 से ज्यादा इनफ्लुएंसर्स ने हिस्सा लिया. संगोष्ठी का संचालन दीप्ति भारद्वाज ने किया.