भोपाल. मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं अर्चना प्रकाशन के अध्यक्ष अशोक पाण्डेय ने कहा कि भारतीय संस्कृति और वेदों में पर्यावरण संरक्षण का सन्देश मिलता है. हमारे पूर्वजों ने पर्यावरण की धरोहर दी है. उसकी रक्षा करना हम सबका कर्त्तव्य है, ताकि आने वाली पीढियों को हम स्वच्छ पर्यावरण दे सकें.
वे अर्चना प्रकाशन न्यास भोपाल के तत्वाधान में लेखक श्रीराम माहेश्वरी द्वारा लिखित पुस्तक “पर्यावरण और जैव विविधता” के लोकार्पण कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक वर्तमान सन्दर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है, आज पर्यावरण की समस्याएं दुनिया के सामने चुनौती है. जिन प्राणियों ने हमारे जीवन में सुख दिया, हमने उसे देवता के रूप में माना ताकि उनका संरक्षण हो सके. उदाहरण के लिए मयूर, सर्प, चूहा, सिंह इन सभी प्राणियों को हमने देवताओं के तुल्य माना है. जिससे समस्त मानव जाति उनके प्रति दया भाव और उदारता की भावना रखे. उन्होंने नदियों के कम होते जलस्तर तथा पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने सामूहिक रूप से पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनने को कहा. साथ ही मूल संस्कृति को धारण कर वर्तमान की चुनौतियों को स्वीकारने की अपील की.
नेशनल सेंटर फॉर ह्यूमन सेटलमेंट एंड एनवायरमेंट भोपाल के महानिदेशक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीके नंदी कहा कि श्रीराम माहेश्वरी की पुस्तक में आज के परिदृश्य के अनुसार महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान दिया गया है. यह पुस्तक प्रासंगिक है. पुस्तक लोगों को पर्यावरण के विषय में प्रति चिंतन करने के लिए प्रेरित करेगी, उन्होंने वर्तमान संदर्भ में पर्यावरण की विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरण संरक्षण पर बल दिया. अर्चना प्रकाशन द्वारा साहित्यकार एवं समाजसेवी कमला प्रसाद चौरसिया का सम्मान किया गया.
अर्चना प्रकाशन के निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता ने प्रकाशन की गतिविधियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि हमारा प्रकाशन साहित्य के माध्यम से समाज में जागरण का कार्य करता है. कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, प्रख्यात पुरातत्वेत्ता डॉ. नारायण व्यास, डॉ गुरुपाल सिंह जरयाल, सहित अनेक साहित्यकार, वरिष्ठ लेखक, पत्रकार तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे. वरिष्ठ लेखक राकेश जैन ने कार्यक्रम का संचालन किया. कार्यक्रम के अंत में प्रकाशन के प्रबंध न्यासी माधव सिंह दांगी ने उपस्थित अतिथियों का आभार व्यक्त किया.
स्वच्छ पर्यावरण के लिए आचरण में बदलाव लाना आवश्यक
पुस्तक के लेखक एवं पर्यावरणविद श्रीराम माहेश्वरी ने कहा कि पर्यावरण का सम्बन्ध मानव जीवन से है. हमारे आचरण और जीवन शैली से है. स्वच्छ पर्यावरण के लिए हमें अपने आचरण में बदलाव लाना होगा. हमारी जीवन शैली प्रकृति से जुड़कर चलने की होगी तो हम आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ पर्यावरण दे सकेंगे. ब्रह्मांड में धरती ही ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है. इस धरती को बचाना हम सभी का कर्तव्य है. वन होंगे. पेड़ पौधे होंगे, तो हमारा जीवन सुरक्षित होगा. अतः हमें अब संकल्प लेना होगा कि हम सभी इस धरती को प्रदूषण मुक्त रखेंगे और पर्यावरण को बचाएंगे.