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‘जम्मू और कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन’ (JKIM)’ और ‘अवामी एक्शन कमेटी (AAC)’ विधिविरुद्ध संगठन घोषित

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ‘जम्मू और कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन’ (JKIM)’ और ‘अवामी एक्शन कमेटी (AAC)’ को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) 1967 की धारा 3 (1) के तहत 5 साल की अवधि के लिए विधिविरुद्ध संगठन घोषित किया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि इन संगठनों को, जनता को कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने के लिए उकसाने और भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वाला पाया गया है। देश की शांति, कानून और संप्रभुता के खिलाफ गतिविधियों में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को सरकार के कड़े प्रहार का सामना करना पड़ेगा।

‘जम्मू और कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन’ (जेकेआईएम) और ‘अवामी एक्शन कमेटी (एएसी)’ के सदस्य लोगों के बीच असंतोष के बीज बोने; कानून और व्यवस्था को अस्थिर करने के लिए लोगों को उकसाने; आतंकवाद का समर्थन करने और स्थापित सरकार के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने जैसी राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में लिप्त होकर भारत से जम्मू और कश्मीर के अलगाव को बढ़ावा देने और समर्थन करने में शामिल हैं।

अधिसूचना में जम्मू-कश्मीर पुलिस और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के एएसी सदस्यों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए दर्ज विभिन्न मामलों और आरोपपत्रों का हवाला दिया गया है। इसमें उमर फारूक, मुश्ताक-उल-इस्लाम, निसार अहमद राथर और निसार अहमद भट जैसे नाम हैं। एएसी नेताओं के खिलाफ भारत की अखंडता के खिलाफ नारे लगाने, जम्मू-कश्मीर के भारत संघ से अलग न होने तक संघर्ष जारी रखने का आह्वान करने और पत्थरबाजी जैसे आरोपों में मामले दर्ज किए गए हैं।

अधिसूचना के अनुसार, मीरवाइज ने 3 अगस्त 2011 को सैयद अली शाह गिलानी के हड़ताल के आह्वान का समर्थन किया। घाटी के आम लोगों तथा युवाओं को भारत की संप्रभुता के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसाया। इसके आरोप में भी उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं।

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