करंट टॉपिक्स

पाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर वापस लेने का जम्मू कश्मीर पीपल्स फोरम ने लिया संकल्प

Spread the love

नई दिल्ली. मीरपुर बलिदान भवन समिति और जम्मू कश्मीर पीपल्स फोरम ने “संकल्प दिवस” मनाया. कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम में उच्च न्यायालय जम्मू द्वारा 1947 में पीओजेके से विस्थापित 5300 परिवारों के पक्ष में दिए फैसले का स्वागत किया, जो वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के बाहर बसे हुए हैं और उन्हें प्रधानमन्त्री पुनर्वास विकास पैकेज, 2015 के अंतर्गत पैकेज में शामिल किया गया है.

इस अवसर पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल (सेवानिवृत्त) भारत गुप्ता, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विद्याभूषण ने संबोधित किया. प्रेस कांफ्रेंस में 1947 में पीओजेके से विस्थापित परिवारों के सदस्यों ने विभाजन की व्यथा व कबायलियों द्वारा किये अत्याचारों के बारे में बताया.

जम्मू कश्मीर पीपल्स फोरम ने बताया कि 22 फरवरी, 1994 को भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था कि “भारत के लोगों की ओर से, दृढ़ता से घोषणा करती है कि – (ए) जम्मू और कश्मीर राज्य भारत का एकीकृत हिस्सा रहा है, है और रहेगा और अलग करने के किसी भी प्रयास का देश के बाकी हिस्सों से इसका हर तरह से विरोध किया जाएगा. (बी) भारत के पास अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ सभी डिजाइनों का दृढ़ता से मुकाबला करने की इच्छा और क्षमता है. और मांग करता है कि (सी) पाकिस्तान को भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के उन क्षेत्रों को खाली करना होगा, जिस पर उसने आक्रामकता से कब्ज़ा कर लिया है और इसका समाधान करना होगा और संकल्प करता है कि (डी) भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के सभी प्रयासों को दृढ़ता से विफल किया जाएगा. आज हम पाकिस्तान को भारत सरकार के कड़े फैसले की याद दिलाने के लिए एकत्र हुए हैं.

मीरपुर बलिदान भवन समिति और जम्मू-कश्मीर पीपल्स फोरम, 1947 में पाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) से विस्थापित होकर वर्तमान में जम्मू और कशिर के बाहर रहने वाले 5300 परिवारों को प्रधानमन्त्री राहत पैकेज 2015 के तहत 5.5 लाख रुपये पैकेज का लाभ दिए जाने के महत्वपूर्ण फैसले पर जम्मू और कश्मीर के माननीय उच्च न्यायालय का स्वागत करते हैं. उच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में वही दर्जा और अधिकार देने का भी निर्देश दिया, जो पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य में बसे 1947 के पीओजेके के 26319 परिवारों को प्राप्त था और उनका पैकेज लाभ जल्द 6 महीने के भीतर दिया जाना चाहिए.

भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार से यथाशीघ्र अपेक्षित अधिसूचना जारी करने का भी आग्रह किया गया. विस्थापन के समय के वास्तविक पीड़ितों में अभी केवल 2 से 3 प्रतिशत व्यक्ति जीवित हैं, जिनकी आयु भी 80 वर्ष से अधिक हो गयी है. वर्तमान सरकार इस मामले में शीघ्र कार्यवाही करे तो जीवन के अंतिम समय में मान्यता मिलने से इन बुजुर्गों को संतोष होगा. कार्यक्रम के समापन पर पाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर वापस लेने का जम्मू कश्मीर पीपल्स फोरम तथा मीरपुर बलिदान भवन समिति ने संकल्प लिया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *