ग्वालियर. मतांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने के लिए हमें जमीन से लेकर संसद के गलियारे तक आखिरी दम तक लड़ना होगा. अपनी हक की लड़ाई के लिए हम सभी को घर से निकलना होगा, तभी हमें सफलता मिलेगी.
यह आह्वान जनजाति सुरक्षा मंच के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य डॉ. रूप नारायण मांडवे ने शिवपुरी लिंक रोड स्थित केदारधाम में आयोजित आमसभा में किया. जनजाति सुरक्षा मंच के तत्वाधान में रविवार को आयोजित आमसभा में क्षेत्र के विभिन्न गांवों से 20 हजार से अधिक अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों ने भाग लिया. इनमें आधी संख्या महिलाओं व बच्चों की थी. मांडवे ने कहा कि हमारे समाज के लोगों को प्रलोभन देकर कुछ विघटनकारी शक्तियां मतांतरित कर रही हैं. जिससे हमारी संस्कृति को तो खतरा है ही, साथ ही इससे हमारे बच्चों का हक भी मारा जा रहा है. अपनी संस्कृति, आस्था, परंपरा को त्याग कर ईसाई या मुसलमान बन चुके लोग जनजाति समुदाय से लाभ छीन रहे हैं. मतांतरित होकर लोग दोहरा फायदा उठा रहे हैं. ऐसे सभी लोगों को जनजाति की सूची से हटाने की मांग को लेकर स्वर्गीय कार्तिक उरांव ने पहली बार 1966-६७ में 235 सांसदों के हस्ताक्षर से युक्त ज्ञापन तत्कालीन प्रधानमंत्री को दिया था. उन्होंने पुन: इस मुद्दे को 1970 में उठाया. उस समय 348 सांसदों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, किंतु इतने प्रबल समर्थन के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच इस मांग को लेकर लगातार पूरे देश में जनजागरण अभियान चला रहा है. सुरक्षा मंच ने पूर्व में भी सन् 2009 में देशभर से 28 लाख लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को सौंपा था, लेकिन तब भी समस्या के निदान हेतु कोई कार्यवाही नहीं की गई. इसका मुख्य कारण था कि उस समय जनता अपने हक के लिए जागरुक नहीं थी, लेकिन आज जनजाति सुरक्षा मंच लोगों में चेतना लाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है. इसी का परिणाम है कि आज हजारों की संख्या में आप लोग यहां उपस्थित हैं. मुझे अब पूरी उम्मीद है कि जनता जनार्दन के सहयोग से निश्चित रूप से सफलता मिलेगी.
संस्कृति व स्वाभिमान को बचाए रखें
डॉ. मांडवे ने कहा कि हम बिरसा मुंडा, राजा शंकर शाह, वीर नारायण के वंशज हैं. इन्होंने प्रताड़ित होने के बाद भी देश और धर्म विरोधी लोगों के सामने घुटने नहीं टेके. अपनी संस्कृति और धर्म के लिए जान न्यौछावर कर दी. हम लोगों का भी कर्तव्य है कि हम विघटनकारी लोगों के प्रलोभन में आकर अपनी संस्कृति और धर्म को नहीं छोड़ें.
अब तक ईसाई व मुसलमानों ने प्रलोभन देकर जनजाति समाज के करीब चार प्रतिशत लोगों को मतांतरित कर लिया है. अब ये मतांतरित लोग जनजाति समाज को मिलने वाले आरक्षण सहित अन्य सुविधाओं को छीन रहे हैं तो दूसरी ओर हमारी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं.
मांगों को लेकर निकाली डी-लिस्टिंग महारैली
मतांतरण करने वालों को आरक्षण सहित अन्य सुविधाओं से वंचित करने की मांग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच ने रविवार को अचलेश्वर मंदिर से डी-लिस्टिंग महारैली निकाली. जहां लोगों ने जो ना भोलेनाथ का, वो ना मेरी जाति का नारा लगाया. रैली के दौरान भी लोग तख्तियां और ध्वजा लेकर मतांतरण बंद करो, धर्म संस्कृति की रक्षा करो, मतांतरित जनजातियों का आरक्षण समाप्त हो-समाप्त हो, आदि नारे लगाते हुए चल रहे थे.
श्री श्री 108 गोविंद दास महाराज कैरोलीधाम कैंट, बालकदास महाराज डबरा, बैजूदादा महाराज सबरी आश्रम घाटीगांव, मुख्य अतिथि सांसद विवेक शेजवलकर, सहित जनजाति सुरक्षा मंच के पदाधिकारी व अन्य उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन जनजाति सुरक्षा मंच के सह संयोजक प्रेमनारायण आजाद एवं आभार संयोजक ओमप्रकाश वदरेटिया ने किया.