जनकल्याण की भावना से करें पत्रकारिता – प्रो.त्रिपाठी
हरिद्वार. देवर्षि नारद जयंती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विश्व संवाद केंद्र के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ देवर्षि नारद जी व भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि के साथ हुआ.
मुख्य अतिथि स्तंभकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार में बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि कोरोना काल में पत्रकारिता के समक्ष अनेक चुनौतियां हैं, लेकिन इन चुनोतियों को अवसर में बदलना ही पत्रकारिता है. नारदजी की कृतियों के अनुरूप पत्रकारिता की आवश्यकता है, लेकिन आज पत्रकार कम हम पक्षकार ज्यादा नजर आते हैं. इससे पत्रकारों को बचने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि यह मूल्यांकन का अवसर है. नारद जयंती के अवसर पर हम नारद जी की कृतियों को देखते हुए स्वयं का मूल्यांकन करें कि हम किस प्रकार की पत्रकारिता में व्यस्त हैं. देखने में आएगा कि आज पत्रकारिता समाज और राष्ट्र का भला ना कर, कुछ विशेष लोगों की कठपुतली बनी हुई है. जिससे बाहर आने की आवश्यकता है, अन्यथा सोशल मीडिया के रूप में पत्रकारिता के समक्ष समानांतर पत्रकारिता खड़ी हो रही है.
उन्होंने कहा की अनेक विदेशी शक्तियां हमें जैविक रूप से कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं. इसके लिए पत्रकार समाज को समूचे समाज को एकजुट करके ऐसी शक्तियों के विरुद्ध एक संघर्ष एक युद्ध लड़ना होगा. नारद जी भागवत संवाददाता हैं, उन्हीं की प्रेरणा से रामायण और भागवत भी लिखी गई. अलग-अलग लोकों में घूम कर समाचारों का संकलन करना और समाचारों को संवाद के माध्यम से एकत्रित करना, यह नारद जी का सकारात्मक कार्य रहा है. उनके इस कार्य में कहीं भी नकारात्मकता ढूंढे नहीं मिलती.
विशेष गुप्ता ने कहा कि संवाद के माध्यम से पत्रकारिता करें, समाचार एकत्रित करें. नारद जी वह घटनाओं की सत्यता पर विश्वास रखते थे. जैसी घटना उसी रूप में उसे प्रस्तुत करना, यह नारद जी का कार्य था. वर्तमान समय में पत्रकारों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने पत्रकारिता से पक्षपात को निकाल फैंकने की आवश्यकता पर बल दिया. जिस समाज में हम रहते हैं, उसके सम्मान के लिए कुछ संकल्प लेने पड़ेंगे ताकि समाज में सकारात्मकता को पटल पर लाया जा सके. उन्होंने कहा कि करोना काल में ऐसे समाचार प्रकाशित किए गए, जिसे देखकर बच्चे और समाज का प्रत्येक व्यक्ति डरा सहमा सा रहा. बच्चों की काउंसलिंग तक करनी पड़ी, अनेक लोग अपना इलाज करा रहे हैं. अगर सकारात्मक पत्रकारिता हो तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. पत्रकारिता ऐसी हो जो जनता का कल्याण करती हो. मूल्य आधारित पत्रकारिता समाज को सही रास्ता दिखा सकती है और राष्ट्र को आगे बढ़ा सकती है. कहा कि पत्रकारिता में नारदीय संस्कृति पैदा हो. पत्रकार को पक्षकार होने से बचना चाहिए.
कार्यक्रम के अध्यक्ष उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि नारद जी को लोक कल्याण और सर्वहित के लिए हमेशा याद किया जाएगा. वह विभिन्न लोकों में घूम कर सभी देवता और दानव से संवाद के माध्यम से समाचार एकत्रित करते थे. लेकिन कभी भी जनकल्याण के अलावा उनका कोई मकसद नहीं रहा. उन्होंने सभी के बीच सामंजस्य की भावना स्थापित की. इसीलिए वह सर्व समाज में पूजनीय रहे. वर्तमान समय में भी पत्रकारों को सभी के लिए हितकारी पत्रकारिता लेकर सामने आना होगा.