डॉ. शुचि चौहान
हर सफलता के पीछे एक सपना होता है। कमली ट्राइब्स की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उदयपुर के आसपास की जनजातीय महिलाओं की प्रतिभा निखारने, उन्हें आजीविका कमाने के लिए सक्षम बनाने और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू हुआ कमली ट्राइब्स आज हस्तशिल्प के क्षेत्र में जाना माना नाम है। वनवासी कल्याण परिषद की प्रेरणा से स्थापित नम्रता प्राइमरी विमेन मल्टीपर्पज़ कोऑपरेटिव सोसायटी का यह उपक्रम आज देश ही नहीं विदेशों में भी अपने उत्पादों से भारतीय हस्तशिल्प व संस्कृति को एक नई पहचान दे रहा है। और जनजातीय महिलाओं का जीवन संवारने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लगभग 7 वर्ष पहले शुरू हुए कमली ट्राइब्स के नेटवर्क में आज 260 से अधिक महिलाएँ हैं, जो उन्हें सिखाए कौशल में निपुण हो रही हैं और अपने परिवार का आर्थिक सम्बल बन रही हैं।
समिति की अध्यक्ष राधिका लड्ढा बताती हैं कि एक समय था, जब उनकी टीम वनांचल में जाती थी, तो वनवासियों की माली हालत देख कर दुखी हो जाती थी। सबके मन में एक ही भाव आता था कि हम इनके लिए क्या कर सकते हैं। धीरे धीरे टीम ने स्वावलंबन व कौशल विकास के शिविर करने शुरू किए, जिनमें ब्लॉक प्रिन्टिंग, सिलाई, ओरीगेमी, पेपरमेशी की वस्तुएं बनाने जैसे प्रशिक्षण दिए जाते थे। पहले महिलाएं हिचकीं, लेकिन फिर आने लगीं। प्रशिक्षण के बाद उनके सामने स्वयं के बनाए प्रोडक्ट्स को बेचने की चुनौती थी।
यह सब देखते हुए यह काम भी हमने अपने हाथ में ले लिया। अब हमने महिलाओं के समूह बना दिए हैं। हर समूह की एक नेत्री है। वह उदयपुर स्थित कार्यशाला से कटिंग किये जूट या लकड़ी के सामान, उन पर कशीदा करने की डिज़ाईन के सैम्पल एवं धागे आदि लेकर अपने गाँव जाती है, वहाँ बहनों से काम करवाती है, तैयार सामान हमें दे जाती है। केंद्र हाथों-हाथ उनका मेहनताना दे देता है। उसके इस विशेष प्रयास के लिये उसे आठ प्रतिशत मेहनताना अलग से दिया जाता है।
समिति में प्रोडक्ट्स की डिजाइनिंग की जिम्मेदारी सम्भाल रहीं आर्टिस्ट सरला मूंदड़ा कहती हैं कि अभावों में जी रही इन महिलाओं के हाथ में जब पैसा आता है तो उनके चेहरों पर आयी खुशी से हम कार्यकर्ता बहनें भी खिल जाती हैं। कमला ने जब कशीदे की कमाई से एसटीसी की अपनी पूरी फीस भरी और कोर्स पूरा करके विद्यालय में अध्यापिका बनी और पिता की असमय मृत्यु के बाद इन्द्रा ने कशीदे की कमाई से जिस प्रकार अपना परिवार सम्भाला, वह बेहद सुकून भरा और आत्म-संतोष देने वाला है। शर्मिला, रमिला, ऋचा ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कमली ट्राइब्स से सहारा मिला, तो उन्होंने अपनी मेहनत से अपने जीवन को सतरंगा बनाया है।
केंद्र में कुसुम, सरोज, विमला, कान्ति, श्यामला, वेणु आदि कार्यकर्ताओं की एक समर्पित टीम है। कमली ट्राइब्स के उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले और ईको फ्रेंडली हैं। यहां मुख्य रूप से जूट, कपास और लकड़ी से बना कच्चा माल ही प्रयोग में लिया जाता है। यहां बने बोर्ड गेम, बैग, ज्वेलरी, की चेन, कोस्टर, टेबल रनर, कुशन कवर, वॉल हैंगिंग बेहद मनमोहक हैं। एक एक उत्पाद की कारीगरी और फिनिशिंग कारीगर के हुनर और समर्पण की अनुभूति कराती है।
कमली ट्राइब्स क्राफ्टमार्क-प्रमाणित है, जो सामाजिक और जिम्मेदारी से उत्पादित वास्तविक भारतीय हस्तनिर्मित उत्पादों के लिए एकमात्र राष्ट्रीय प्रमाणन कार्यक्रम है। इसे AIACA द्वारा सम्मानित किया गया है, यह एक व्यावसायिक ट्रेडमार्क के रूप में ट्रेडमार्क प्राधिकरण के साथ पंजीकृत संस्था है। कमली ट्राइब्स के उत्पाद बिक्री मेलों के अतिरिक्त ‘ट्राईफेड’ के बिक्री केन्द्रों (एयरपोर्ट और पर्यटन केन्द्रों) व I-टोकरी पर भी उपलब्ध हैं।
राधिका लड्ढा कहती हैं, 1952 में स्थापित अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने वनवासियों के उत्थान के कई कार्य किए हैं। कमली ट्राइब्स इनमें से एक है। यथार्थ में “हाथ कार्यरत एवं मस्तक स्वाभिमान से उन्नत” ध्येय वाक्य के साथ कमली ट्राइब्स जनजातीय महिलाओं को स्वाभिमान के साथ जीने का सम्बल और प्रेरणा दे रहा है।