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कर्नाटक – उच्च न्यायालय ने मस्जिद में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने वाले दो लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द किया

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अभी हाल ही के अपने एक आदेश में कर्नाटक उच्च न्यायालय दक्षिण कन्नड़ जिले के निवासी कीर्तन कुमार और सचिन कुमार के खिलाफ ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के आरोप में आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया. उच्च न्यायालय ने कहा कि मस्जिद के अंदर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से “किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंची है”.

कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने नागरिकों की धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया. स्थानीय पुलिस ने दोनों के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

शिकायत के अनुसार, दोनों ने पिछले साल सितंबर में एक रात स्थानीय मस्जिद में प्रवेश किया और “जय श्री राम” के नारे लगाए थे.

उच्च न्यायालय ने कहा – “धारा 295ए जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने से संबंधित है. यह समझ से परे है कि अगर कोई ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी. जब शिकायतकर्ता खुद कहता है कि क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द के साथ रह रहे हैं तो इस घटना को किसी भी तरह से अपराध नहीं माना जा सकता”.

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि मस्जिद एक सार्वजनिक स्थान है और इसलिए, आपराधिक अतिक्रमण का कोई मामला नहीं बनता. इसके अलावा, जय श्री राम का नारा लगाना आईपीसी की धारा 295ए के तहत परिभाषित अपराध की आवश्यकता को पूरा नहीं करता.

हालांकि, राज्य सरकार ने दलील का विरोध किया और कहा कि मामले में आगे की जांच की आवश्यकता है.

न्यायालय ने माना कि वर्तमान मामले में कथित अपराध का सार्वजनिक व्यवस्था पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा.

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