छह दिसंबर 1992 की रात का अद्भुत व अकल्पनीय दृश्य, कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरने के बाद कुछ ही देर में श्रीराम जन्मभूमि पर अस्थायी मंदिर का निर्माण कर दिया. अस्थायी मंदिर में रामलला जैसे ही विराजमान हुए, कारसेवकों की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए. कारसेवक खुशी से रोने लगे, रोते-रोते कारसेवक रामलला की ‘जय हो, जय हो’ का उद्घोष कर रहे थे. मानो, सैकड़ों वर्षों की गुलामी से मुक्ति मिल गई हो.
कारसेवा के दौरान वहां उपस्थित पवन जिंदल ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व संस्मरण साझा किए. पवन जिंदल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन विभाग कार्यवाह (पटियाला, पंजाब) व वर्तमान में हरियाणा प्रांत संघचालक हैं. जब विवादित ढांचा गिरा तो देशभर से कारसेवक वहां उपस्थित थे.
यादों की गठरी खोलते हुए पवन जिंदल ने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी, तो आंदोलन के दौरान उन्हें बुलंदशहर में गिरफ्तार कर लिया था. चार दिन तक जेल में रहे. उनके जैसे हजारों कारसेवको-आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन मनोबल कमजोर नहीं हुआ.
आंदोलन धीरे-धीरे तेज होता गया. 1992 के आंदोलन के दौरान वह एक दिसंबर को ही अयोध्या पहुंच गए थे. गुंबद पर चढ़ना मुश्किल था, गुंबद पर काई जमी हुई थी…. इसके बाद भी काफी कारसेवक ऊपर चढ़ गए और छह दिसंबर को विवादित ढांचा गिर गया.
विवादित ढांचे तक कोई जा नहीं सके, इसके लिए आसपास लगभग 10 हजार पाइप की बैरिकेडिंग की गई थी. 10 के 10 हजार पाइप कारसेवकों ने उखाड़ दिये थे. पाइप उखाड़कर दीवार में चोट मारी गई. इससे पिलर गिरता चला गया. एक-एक घंटे के अंतराल पर तीनों गुंबद गिर गए.
गुंबदों के गिरने के दौरान कारसेवकों के शंखनाद से पूरा माहौल राममय हो गया था. सबसे बड़ी बात यह कि श्रीराम मंदिर की जो पुरानी दीवार थी, उसके आगे दीवार बनाकर ऊपर गुंबद बना दिए गए थे. जब दीवार गिरी तो मंदिर से संबंधित जो भी सामान होता है, वह भी सामने आ गया. काफी संख्या में मूर्तियां, घंटी, करताल आदि मौके पर मिले थे.
लगभग दो लाख कारसेवक पहुंचे थे अयोध्या
पवन जिंदल कहते हैं कि अयोध्या जी में कारसेवा करने के लिए लगभग दो लाख कारसेवक पहुंचे थे. विवादित ढांचा गिरने के बाद उनमें से लगभग 10 हजार रुक गए थे. बाकी को उनके घर भेज दिया गया था. 10 हजार कारसेवक 12 दिसंबर तक अयोध्या में ही रहे.
अस्थायी मंदिर का निर्माण तो रातों-रात कर दिया गया था. उसके बाद मंदिर की पूरी व्यवस्था करने में थोड़ा समय लगा था. विवादित ढांचा टूटने के साथ ही लग गया था कि अब जल्द ही श्रीराम का भव्य मंदिर बनेगा. लंबे संघर्ष के बाद रामलला फिर से अपनी जगह पर स्थायी रूप से विराजमान हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन राष्ट्र गौरव का दिन होगा. हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि श्रीराम मंदिर बनता देख रहे हैं. हजारों लोगों के बलिदान के बाद यह शुभ दिन आया है. सभी लोग 22 जनवरी को दीपोत्सव के रूप में मनाएं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर इतनी खुशी हो रही है, जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता.
कारसेवक के रूप में भाग लेने से ऐसा महसूस होता है जैसे जीवन सफल हो गया. इतने वर्षों के बाद भी अचानक छह दिसंबर का दृश्य आंखों के सामने जैसे ही आता है, खुशी के आंसू निकल जाते हैं. पूर्व जन्म में कुछ न कुछ अच्छा किया था जो कारसेवक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
इनपुट – दैनिक जागरण