नई दिल्ली. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को लेकर सरकार का भेदभावपूर्ण रवैया एक बार फिर उजागर हुआ है. पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब का नियंत्रण पाकिस्तान सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से छीनकर एक मुस्लिम संस्था को दे दिया है. पवित्र स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब न सिर्फ धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से भारत के लिए महत्वपूर्ण रहा है, बल्कि यह राजनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. पाकिस्तान सरकार ने गुरुद्वारा दरबार साहिब का प्रबंधन ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (ETPB) को सौंपा है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान सरकार के निर्णय पर कड़ा विरोध दर्ज करवाया है. विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि इससे सिक्ख समुदाय के लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. इमरान सरकार की इस हरकत से उसकी असली मानसिकता उजागर हो रही है. भारत ने पाकिस्तान को इस फैसले को रद्द करने को कहा है.
दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का प्रबंधन पाकिस्तान सिक्ख कमेटी से छीनकर आईएसआई की संस्था ईटीबीपी को सौंपा गया है. पहली बार इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे पर मुस्लिम संस्था का नियंत्रण होगा.
गुरु नानक देव जी ने अपनी मृत्यु (वर्ष 1539) से पूर्व 18 साल इसी पवित्र स्थल पर बिताए थे. भारत को दिए गए प्रतिवेदन में सिक्ख समुदाय ने पाकिस्तान द्वारा उस देश में अल्पसंख्यक सिक्ख समुदाय के अधिकारों को निशाना बनाने के निर्णय पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
पाकिस्तान में सिक्ख धार्मिक स्थल काफी अधिक संख्या में मौजूद हैं, जबकि पाकिस्तान में आज़ादी के बाद सिक्खों की संख्या काफी कम हो गई है. एक तरफ पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं/ सिक्खों के साथ अमानवीयता होती रही, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को तोड़कर अवैध ढांचा बनाया जाता रहा, उनके अधिकारों को लगातार कुचला गया और उन्हें धर्मांतरित करने के लगातार प्रयास चलते रहते हैं.