कोटा (विसंकें). चैत्र शुक्ला प्रतिपदा विक्रम सं. 2080 के आगमन का स्वागत कोटा में ऐतिहासिक और अविस्मरणीय रहा. नववर्ष का उत्सव जन-जन का उत्सव रहा. कार्यक्रम की तैयारियाँ लगभग एक माह पूर्व से ही आरम्भ करते हुए नववर्ष के आयोजन को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए विचार गोष्ठी समिति, विकास समिति से सम्पर्क के लिए समिति, मंदिर सज्जा समिति, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों की संपर्क समिति, समाज के प्रमुख लोगों से सम्पर्क के लिए समिति, मेला समिति, चौराहा सज्जा समिति, कबड्डी प्रतियोगिता समिति, मटकी फोड़ प्रतियोगिता समिति, सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति, वाहन रैली समिति एवं अन्य उपसमितियाँ बनाई गई थी.
125 विचार गोष्ठियों का आयोजन किया गया. विचार गोष्ठियों के माध्यम से भारतीय नववर्ष की प्रासंगिकता, सृष्टि के रचना, समय की सूक्ष्म गणना व उसकी वर्तमान समय के अनुसार व्याख्या, विभिन्न दैवीय घटनाएं, महापुरूषों का जन्मदिन, आदि घटनाएं यही दर्शाती हैं कि भारतीय संस्कृति के अनुसार यह एक अति मंगलकारी दिन है. हमारे जन जन के आराध्य भगवान श्री रामचन्द्र जी द्वारा राज्यभिषेक हेतु इस दिन का चयन, धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा युगाब्ध का आरम्भ, परम प्रतापी राजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रम संवत का आरभ, आदि महापुरूषों ने शुभ एवं मंगलकारी कार्य के लिए चैत्र शुक्ल एकम् को सबसे उपयुक्त दिन माना है. इन गोष्ठियों में दस हजार से भी अधिक संख्या में व्यवसायी, युवा, विद्यार्थियों, मातृशक्ति ने भाग लिया.
पूरे शहर को भगवामय बनाने के लिए लगभग 1.25 लाख भगवा झण्डे, पताकाएं, सैकड़ों की संख्या में बैनर, होर्डिंग लगाए गए. शहर के 250 मंदिरों की स्वच्छता की गई. समिति के कार्यकर्ताओं ने प्रत्येक मंदिर की समिति एवं पुजारियों से चर्चा कर कार्य को पूर्ण किया. मंदिरों में विशेष महाआरती का आयोजन किया. घरों में दीपक जलाकर, दरवाजे पर रंगोली की सजावट एवं शंखनाद कर नववर्ष के आगमन का संदेश दिया गया. नववर्ष आगमन के स्वागत हेतु शहर के प्रमुख 46 चौराहों पर विशेष साज-सज्जा की गई.
नववर्ष की पूर्व संध्या अर्थात 21 मार्च को शहर के प्रमुख 12 स्थानों से दोपहिया वाहन रैलियों का आयोजन किया गया. इसमें कुल 8200 दोपहिया वाहनों पर लगभग 16000 लोग भाग ले रहे थे.
आयोजन समिति ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर 1 लाख दीपों से किशोर सागर तालाब की पाल पर भारत माता की महाआरती करने संकल्प किया. 1 लाख दीपकों की उपलब्धता, और तेल भरना, बाती लगाना, और निर्धारित स्थान पर रखकर इनको प्रज्ज्वलित करना एक बहुत बड़ी चुनौती थी. इस कार्य को भारत विकास परिषद संगठन ने अपने कार्यकर्ता के अथक परिश्रम से सफलता पूर्वक सम्पन्न किया. अनेकों संगठनों ने इस कार्य में भारत विकास परिषद का सहयोग किया.
पूर्व संध्या पर किशोर सागर तालाब पर एक भव्य मेले का आयोजन का किया गया. मेले में 26 समाजों ने अपने समाज के नाम की स्टाल लगाकर विभिन्न प्रकार व्यंजन तैयार किए और उचित मूल्यों पर खाने-पीने की सामग्री उपलब्ध कराई. मेले में अनेकों संस्थानों ने अपने संस्थान की जानकारी की झांकी भी लगाई. इन झांकियों में सेवाभारती, स्वदेशी सामान, आर्य समाज, आर्ट आफ लिविंग, एस्कान मंदिर, हरे रामा हरे कृष्णा, गायत्री परिवार, पतंजलि उत्पाद, धर्म जागरण समन्वय, प्रमुख थे.
दीप प्रज्ज्वलित कर परम पूज्य साध्वी हेमा जी सरस्वती, परम पूज्य सनातन पुरी जी महाराज, संघ के प्रांत प्रचारक विजयानंद जी, पूर्व सासंद और महाराज इज्यराज सिंह, आयोजन समिति के अध्यक्ष गोविन्द नारायण जी अग्रवाल ने मेले का शुभारंभ किया. मेले में लगभग 50 हजार जनता ने भाग लेकर एक कीर्तिमान स्थापित किया गया.