‘घटना का पूरा सीसीटीवी फुटेज जारी करे गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन’
लखनऊ. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में हिंसा की स्थिति पर क्षोभ व्यक्त किया. विद्यार्थी परिषद ने कहा कि विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं की समस्याओं के प्रति लगातार उदासीनता, पाठ्यक्रमों की फीस वृद्धि, परीक्षा-परिणामों में विलंब, अंकपत्र व प्रमाणपत्र जारी करने में देरी सहित विषयों के समाधान की माँग को लेकर चल रहे छात्र आंदोलन के प्रति गोरखपुर विश्वविद्यालय कुलपति व प्रशासन की संवादहीनता व उदासीनता के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई.
गोरखपुर विश्वविद्यालय में समस्याओं के समाधान के लिए शुक्रवार लगभग प्रातः 11 बजे से शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा था, शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान लगभग दोपहर 03:30 बजे पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, इससे पूर्व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा धरना कर रहे छात्रों से किसी भी प्रकार से संवाद करने का कोई प्रयास नहीं हुआ. शुक्रवार से पूर्व भी शांतिपूर्ण धरने हुए हैं – लोकतांत्रिक धरना प्रदर्शन छात्र आंदोलन का भाग है. प्रदर्शनस्थल पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा लाठीचार्ज व गोरखपुर विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों द्वारा मारपीट करने के उपरांत स्थिति अराजक हुई. इस घटना के संबंध में वायरल वीडियो व तस्वीरें पुलिस के लाठीचार्ज के बाद की हैं. गोरखपुर विश्वविद्यालय घटना का पूरा सीसीटीवी फुटेज जारी करे, इससे पूरी घटना में गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन तथा उत्तर प्रदेश पुलिस की अलोकतांत्रिक व शर्मनाक भूमिका स्पष्ट हो जाएगी. भ्रष्टाचार, कुलपति की संवादहीनता व समस्याओं की अनदेखी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति से पूरा गोरखपुर विश्वविद्यालय व्यथित है.
परिषद ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में प्रशासन व प्राध्यापकों में संवाद का गुण रहना चाहिए, जिससे सभी हितधारक अपनी बात स्वस्थ मानसिकता से कह सकें. गोरखपुर विश्वविद्यालय में उपर्युक्त उल्लेखित समस्याओं के समाधान की माँग को लेकर बीते डेढ़ सप्ताह से अधिक समय से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेतृत्व में विद्यार्थियों का आंदोलन चल रहा था, इस आंदोलन के पूर्व में कुलपति को संबोधित विभिन्न ज्ञापन भी दिए गए. जिसका कोई भी उत्तर व कार्रवाई विवि प्रशासन द्वारा नहीं की गई. गोरखपुर विश्वविद्यालय में 13 जुलाई के प्रदर्शन में शामिल विद्यार्थियों की समस्याओं के समाधान से स्थिति ठीक करने के स्थान पर उन्हें लोकतांत्रिक प्रदर्शन करने के लिए निलंबित कर दिया गया. क्या गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रदर्शन करना अपराध की श्रेणी में आता है?
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि, “शिक्षा संस्थान-संवाद, सहयोग, न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों का रचनात्मक केन्द्र हैं, सभी को बिना भेदभाव गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सामाजिक प्रतिबद्धता की लक्ष्य पूर्ति का माध्यम हैं. पर गोरखपुर विश्वविद्यालय में वर्तमान स्थिति ठीक विपरीत है. गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन की संवादहीनता, असहयोग, मनमानापन, तानाशाही रवैये के कारण शुक्रवार को दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई. शुक्रवार की घटना के संदर्भ में यह जांच होनी चाहिए कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस ने क्यों लाठीचार्ज किया? प्रशासन की छात्रों के साथ संवादहीनता क्यों रही? घटना की पूरी सीसीटीवी फुटेज क्यों छिपाई जा रही है? गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में प्रशासन के रवैए के कारण बनी नकारात्मक स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है”.