विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग और सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री ने संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग के प्रमुख खंडों को चार लेन में निर्मित करने के कार्य का शिलान्यास किया. प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग और सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया. इस अवसर पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री तथा महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे.
संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का शिलान्यास किया गया. संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग का निर्माण पांच चरणों में और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. इन परियोजनाओं से क्षेत्र का आवागमन संपर्क बेहतर होगा. प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के लिए भक्तों, संतों और भगवान विट्ठल को उनके आशीर्वाद के लिए नमन किया. उन्होंने कहा कि इतिहास की उथल-पुथल के दौर में भी भगवान विट्ठल में आस्था अटूट रही और “आज भी, यह यात्रा दुनिया की सबसे प्राचीन जनयात्राओं में एक है और यह यात्रा हमें सिखाती है कि मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं, पद्धतियाँ और विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य एक होता है. अंत में सभी पंथ ‘भागवत पंथ’ ही हैं. यह भारत की उस शाश्वत शिक्षा का प्रतीक है, जो हमारी आस्था को बांधती नहीं, बल्कि मुक्त करती है.”
प्रधानमंत्री ने भारत की आध्यात्मिक समृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि पंढरपुर की सेवा मेरे लिए साक्षात श्री नारायण हरि की सेवा है. यही वह भूमि है, जहां भक्तों के लिए भगवान आज भी प्रत्यक्ष विराजते हैं. यही वो भूमि है, जिसके बारे में संत नामदेव जी महाराज ने कहा है कि पंढरपुर तब से है, जब संसार की भी सृष्टि नहीं हुई थी.
भारत भूमि की यह विशेषता है कि समय-समय पर, अलग-अलग क्षेत्रों में, ऐसी महान विभूतियां अवतरित होती रहीं, देश को दिशा दिखाती रहीं. दक्षिण में मध्वाचार्य, निम्बार्काचार्य, वल्लभाचार्य, रामानुजाचार्य हुए, पश्चिम में नरसी मेहता, मीराबाई, धीरो भगत, भोजा भगत, प्रीतम हुए. उत्तर में रामानंद, कबीरदास, गोस्वामी तुलसीदास, सूरदास, गुरु नानकदेव, संत रैदास हुए, पूर्व में चैतन्य महाप्रभु, और शंकर देव जैसे संतों के विचारों ने देश को समृद्ध किया.
वारकरी आंदोलन के सामाजिक महत्व पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वारकरी आंदोलन की और एक विशेषता रही, वह है पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर वारी में चलने वाली हमारी बहनें, देश की स्त्री शक्ति! ‘पंढरी की वारी’, अवसरों की समानता का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि वारकरी आंदोलन भेदभाव को अमंगल मानता है और यही इसका महान ध्येय वाक्य है.
आपसे आशीर्वाद स्वरूप तीन चीजें मांगना चाहता हूं. श्रद्धालुओं से अनुरोध किया कि वे पालखी मार्गों पर पेड़ लगाएं. मुझे यह चाहिए कि इस पैदल मार्ग पर हर कुछ दूरी पर पीने के पानी की व्यवस्था भी की जाए, इन मार्गों पर अनेकों प्याऊ बनाए जाएं. तीसरे आर्शीवाद के तौर पर वह भविष्य में पंढरपुर को भारत के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थलों में देखना चाहते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह काम जनभागीदारी से ही होगा, जब स्थानीय लोग स्वच्छता के आंदोलन का नेतृत्व अपनी कमान में लेंगे, तभी हम इस सपने को साकार कर पाएंगे.
दिवेघाट से मोहोल तक संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग का लगभग 221 किमी और पतस से टोंडेल-बोंडले तक संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का लगभग 130 किमी हिस्सा चार लेन का होगा, जिसमें दोनों तरफ ‘पालखी’ के लिए समर्पित पैदल मार्ग होंगे, जिसकी अनुमानित लागत क्रमश: 6,690 करोड़ रुपये से ज्यादा और लगभग 4,400 करोड़ रुपये होगी.
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने पंढरपुर से कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर 223 किलोमीटर से अधिक की पूर्ण और उन्नत सड़क परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया, जिनकी अनुमानित लागत 1,180 करोड़ रुपये है. इन परियोजनाओं में म्हस्वाद-पीलिव-पंढरपुर (एनएच 548ई), कुर्दुवाड़ी-पंढरपुर (एनएच 965सी), पंढरपुर-संगोला (एनएच 965सी), एनएच 561ए का तेम्भुरनी-पंढरपुर खंड और एनएच 561ए का पंढरपुर-मंगलवेधा-उमादी खंड शामिल हैं.