करंट टॉपिक्स

लिओनार्दो उनके राष्ट्रीय गौरव, और हमारे…?

Spread the love

वराहमिहिर का कार्यकाल सन् ४९९ से ५८७ तक का रहा है। अर्थात् लिओनार्दो से लगभग एक हजार वर्ष पहले। वे प्रख्यात खगोलशात्री थे। ज्योतिष शास्त्र गणना में जो ‘अयनांश’ (प्रिसिशन के लिए संस्कृत शब्द) होता है, उसका मान ५०.३२ सेकंड्स है, यह सबसे पहले उन्होंने खोजा। ईरान के पारसी शहंशाह, नौशेरवां के अनुरोध पर उन्होंने जुन्दीशापुर में वेधशाला की स्थापना की थी। वे गणिततज्ञ भी थे।

प्रशांत पोळ

इस बार यूरोप प्रवास में इटली में अच्छा खासा घूमना हुआ। इटली तो इसके पहले भी तीन – चार बार गया था। लेकिन तब अपना काम कर के जल्द लौट आना, यही दिनचर्या होती थी। पर्यटक इस नाते इटली देखना रह गया था, जो इस बार संभव हो सका।

इस बार मिलान, वेनिस, रोम आदि स्थानों पर विस्तार से घूमना हुआ। इन सभी स्थानों पर एक बात समान थी –  लिओनार्दो दा विंची। लिओनार्दो की मूर्तियां, पुतले, उनके जीवन कार्य संबंधी प्रदर्शनी, उनके कार्य पर परिचर्चा।। पूरे बारह महीने इटली में यही चलता रहता है। हमारे प्रवास के समय, वेनिस में लिओनार्दो ने मनुष्य की शरीर रचना के संबंध जो चित्र बनाए थे, उनकी प्रदर्शनी चल रही थी। रोम में, वेटिकन सिटी के अंदर, पोप के महल के एक छोटे से हिस्से में, लिओनार्दो द्वारा बनाई पेंटिंग पर विश्लेषणात्मक कार्यशाला और प्रदर्शन चल रहे थे। फ्लोरेंस, लिओनार्दो का जन्मगाव रहा है। वहां मेरा जाना हुआ नहीं। लेकिन लिओनार्दो केवल फ्लोरेंस के हीरो नहीं हैं, पूरे इटली के हैं।

सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में इटली में लिओनार्दो दा विंची ने धूम मचाई थी। अत्यंत प्रतिभाशाली लिओनार्दो कला, जीवन, विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में नए-नए आयाम निर्माण कर रहे थे। सन् १४५२ से १५१९ तक लिओनार्दो का कार्यकाल रहा है। यही समय यूरोप में रेनेसां (पुनर्जागरण, पुनरुत्थान) का था। लिओनार्दो जैसे कलाकार एक नए यूरोप का निर्माण कर रहे थे।

लिओनार्दो ने ‘द लास्ट सपर’, मोनालिसा जैसी अमर कलाकृतियां बनाई। वे चित्रकारी के साथ वास्तुकला, यांत्रिकी, शरीर रचना शास्त्र, जल-गति-विज्ञान, भौतिकी आदि सभी में सिद्धहस्त थे। उनके बनाए स्केचेस के आधार पर, आगे, लगभग सवा चार सौ वर्षों के बाद हेलीकॉप्टर और पैराशूट की रचना हो सकी। उन्होंने भविष्य की तकनिकी के बारे में बहुत कुछ लिखा है, जिसमें से अधिकतम बातें प्रत्यक्ष रुप में साकार हुईं।

लिओनार्दो प्रतिभाशाली थे, उनकी कला के बारे में बात करनी चाहिए, उनको याद करना चाहिए और ये ठीक भी है। पूरी इटली लिओनार्दो को कृतज्ञतापूर्वक याद करती है। इटली की युवा पीढ़ी उन्हें अपना हीरो मानती है।

लेकिन, ये सब देखकर मेरे मन में एक जबरदस्त टीस उठी। हमारे देश में लिओनार्दो जैसे अनेक प्रतिभाशाली लोग हुए। उन्होंने पूरे विश्व में ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है। इन अनेकों में  एक नाम है – वराहमिहिर।

वराहमिहिर का कार्यकाल सन् ४९९ से ५८७ तक का रहा है। अर्थात् लिओनार्दो से लगभग एक हजार वर्ष पहले। वे प्रख्यात खगोलशात्री थे। ज्योतिष शास्त्र गणना में जो ‘अयनांश’ (प्रिसिशन के लिए संस्कृत शब्द) होता है, उसका मान ५०.३२ सेकंड्स है, यह सबसे पहले उन्होंने खोजा। ईरान के पारसी शहंशाह, नौशेरवां के अनुरोध पर उन्होंने जुन्दीशापुर में वेधशाला की स्थापना की थी। वे गणिततज्ञ भी थे।

वराहमिहिर का लिखा हुआ एक ग्रन्थ प्रसिद्ध है – बृहत्संहिता। यह विश्वकोष का एक प्रकार है। इसमें वराहमिहिर ने अनेक विषयों पर जानकारी दी है। वर्षा, पर्जन्य पर महत्वपूर्ण जानकारी है। भूमिगत जल ढूंढने के प्रकार बताए गए हैं। ग्रहों की गति, ग्रहण की तिथियों की गणना आदि सब अत्यंत शुद्धता के साथ करने की विधि बताई है। ध्यान रहे, यह सब आज से डेढ़ हजार वर्ष पहले का ज्ञान है।

अब थोड़ी तुलना करें – इटली में लिओनार्दो राष्ट्रीय हीरो हैं। सभी को उनकी जानकारी है। पूरा इटली उन्हें सतत कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करता है। उनके बारे में बात करने में गर्व का अनुभव करता है..!

और हमारे देश में..? दस में से नौ लोगों को वराहमिहिर या इन जैसे हमारे राष्ट्रीय गौरव, राष्ट्रीय नायकों की जानकारी ही नहीं है। विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाला हमारा देश, अपने राष्ट्रीय प्रतिभावंतों को, राष्ट्रीय गौरव को ही यदि नहीं पहचानता हो, उनकी बात करना दकियानुसी मानता हो, तो हमारी अभिलाषा पूर्ण होने की बात फिजूल है…!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *