पुष्कर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि 1000 वर्षों तक विदेशी बर्बर आक्रमणों के कारण विध्वंस हुए भारत की आस्था और संस्कृति के प्रतीकों को इंदौर की रानी अहिल्याबाई होलकर ने ढूंढ- ढूंढ कर जीर्णोद्धार अथवा पुनर्निर्माण करवाया. जहां जैसी आवश्यकता रही तीर्थ स्थलों और सांस्कृतिक केंद्रों का योजनाबद्ध विकास अहिल्याबाई होलकर द्वारा किया गया. इसलिए वास्तविक अर्थों में माता अहिल्याबाई होलकर भारत के सांस्कृतिक उत्थान की अग्रदूत रही हैं. सह सरकार्यवाह शुक्रवार को पुष्कर में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की जयंती के 300वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में संबोधित कर रहे थे.
इस अवसर पर उपस्थित विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने हृदय में प्राणी मात्र के प्रति अगाध संवेदना रखकर अपनी न्यायप्रियता और लोक कल्याणकारी शासन की पद्धति के कारण उन्हें जनता ने लोकमाता के रूप में स्वीकार किया. अपने जीवन में अनगिनत कष्टों को झेलते हुए भी वे कभी अपने कर्तव्य मार्ग से तनिक भी विचलित नहीं हुईं और शासन कार्य को शिव की आज्ञा मानकर धर्म की मर्यादा में शासन का आदर्श उदाहरण पेश किया.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मानपुरा पीठ के परम पूज्य जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज तथा मुख्य अतिथि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के वंशज उदयराजे होलकर रहे. साथ ही शीतल शेखावत की विशिष्ट उपस्थिति रही.
अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति के संरक्षक रामनिवास वशिष्ठ तथा अध्यक्ष दशरथ सिंह जी तंवर ने सभी महानुभावों का स्मृति चिन्ह श्रीफल भेंट कर स्वागत किया.