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800 करोड़ रुपये बचाकर 3200 करोड़ में बनी अटल टनल

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शिमला. हिमाचल प्रदेश में 10 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर कुल्लू के मनाली में अटल रोहतांग टनल बनकर तैयार हो गयी है. सामरिक दृष्टि से यह टनल बेहद महत्वपूर्ण तो है, साथ ही अन्य कई मामलों में भी महत्वपूर्ण है. अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एनएसी) तक रसद पहुंचना आसान हो जाएगी. वहीं, छह माह तक बर्फ की कैद में रहने वाले लाहुल घाटी के लोगों को भी छुटकारा मिल जाएगा. अब सर्दियों में बर्फबारी और 13050 फीट ऊंचा रोहतांग दर्रा किसी को परेशान नहीं कर पाएगा.

अटल टनल रोहतांग के निर्माण कार्य का बजट चार हजार करोड़ रुपये था. इंजीनियरों के कुशल रणनीतिक बदलाव के चलते न केवल 800 करोड़ की बचत हुई है, बल्कि उस पैसे का उपयोग टनल की देखरेख और बेहतरी के लिए किया जाएगा. 3200 करोड़ की यह अटल टनल बनकर तैयार है. अधिकतर प्रोजेक्ट्स में तय बजट से अधिक धनराशि व्यय होती है, लेकिन यहां कर्मियों की कुशलता से प्रोजेक्ट बजट से कम राशि में पूरा हुआ है, बल्कि रिकॉर्ड 800 करोड़ रुपये कम खर्च हुए हैं. यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.

10 साल से बीआरओ की देखरेख में एफकॉन स्ट्रॉबेग व समेक कंपनी के इंजीनियर व मजदूर 12 माह 24 घंटे महत्वपूर्ण सुरंग को पूरा करने में जुटे हैं. एलएसी तक समय और दूरी कम करने के साथ साथ साल में छह महीने देश व दुनिया से कटी रहने वाली घाटी अब साल भर जुड़ी रहेगी. टनल के दोनों छोर मिलने में लगभग आठ साल का समय लग गया. सेरी नाले के रिसाव के चलते महज 600 मीटर हिस्से को पार करने में साढ़े तीन साल का समय लग गया. इंजीनियरों के अनुसार इस टनल का अनुभव मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनने वाली अन्य चार महत्वपूर्ण सुरंगों के निर्माण में काम आएगा.

बीआरओ के लिये गर्व की बात

अटल टनल रोहतांग 3200 करोड़ में बनकर तैयार है. यह ऊंचाई में बनने वाली दुनिया की पहली टनल है. अटल टनल का निर्माण करना बीआरओ के लिए भी गर्व की बात है. उद्घाटन की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. – केपी पुरसोथमन (विशेष सेवा मेडल प्राप्त), चीफ इंजीनियर बीआरओ अटल टनल रोहतांग

 

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