अम्बेडकरनगर. युवक ने पहले अपना छद्म हिन्दू नाम बताकर युवती को प्रेमजाल में फंसाया, मंदिर में शादी की और फिर एक सप्ताह के अंदर निकाह कर नमाज-कलमा पढ़ने का दबाव बनाया, न पढ़ पाने पर तीन तलाक दे दिया. तत्पश्चात अपने भाईयों के साथ हलाला के लिए मजबूर किया. अब युवती व उसका परिवार न्याय के लिए भटक रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मालीपुर थाने के सैरपुर उमरन गांव की युवती की सम्मनपुर के हरदिलपुर में रिश्तेदारी है. यहां ममेरे भाई सुनील के साथ पड़ोसी जिला आजमगढ़ के पवई थाने के मिल्कीपुर का शाबाम अपना धर्म छिपा श्यामू बनकर युवती के घर आने-जाने लगा. धीरे-धीरे उसने युवती से नजदीकियां बढ़ा, उसे और परिवार को शादी के लिए राजी कर लिया.
परिवारजनों ने 22 मई, 2020 को शादी की तिथि निर्धारित की. लेकिन इसी बीच कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया, जिस कारण 10 जुलाई, 2020 को जलालपुर कस्बे के मठिया मंदिर में शादी संपन्न हुई. युवती को ससुराल पहुंचे एक सप्ताह ही हुआ था कि शाबाम और उसके परिवार वालों ने मौलवी बुलाकर जबरन निकाह पढ़वा दिया. मतांतरण कराने के बाद उस पर नियमित नमाज और कलमा पढ़ने का दबाव बनाया जाने लगा. घर वालों के साथ आसपास की मुस्लिम महिलाएं नमाज व कलमा पढ़ने का अभ्यास कराने लगीं.
युवती जब भी आपत्ति जताती, उससे जानवरों जैसा व्यवहार किया जाता. आए दिन मारपीट के बीच शाबाम ने उसे तीन तलाक दे दिया, लेकिन बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी. यहां तक कि युवती का मोबाइल भी छीन लिया और उसे अपने मां-बाप से बात नहीं करने दी जाती. इसी दौरान शाबाम ने दोबारा निकाह करने की बात कहकर अपने भाई से हलाला करने पर मजबूर किया.
पीड़ित किसी तरह भागकर अपने पिता के पास पहुंची और पूरी बात बताई. पीड़ित परिवार ने मालीपुर थाने में शिकायत की. पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय डांटकर भगा दिया.
सीओ जलालपुर से भी फरियाद का कोई परिणाम नहीं निकला. अंत में न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
इनपुट साभार – दैनिक जागरण