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लव जिहाद – कानून बनाने की मांग को लेकर सड़क पर उतरीं महिलाएं व युवतियां

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लव जिहाद को रोकने के लिए कानून बनाने की मांग लेकर महिलाओं ने प्रदर्शन प्रारंभ किया है. लव जिहाद की घटनाओं को लेकर महिलाओं में रोष है. लव जिहाद को लेकर कानून बनाने की मांग करते हुए प्रदर्शन का आयोजन शरण्या के प्रबुद्ध वर्ग मेधाविनी सिंधु सृजन द्वारा किया गया था, जिसमें 400 से अधिक महिलाएं व युवतियां उपस्थित रहीं. प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने लव जिहाद होने नहीं देंगे और बेटियां खोने नहीं देंगे, का नारा दिया.

हरियाणा के बल्लभगढ़ में निकिता तोमर हत्याकांड में दोषियों को फांसी की सजा देने तथा लव जिहाद के खिलाफ ठोस कानून की मांग को लेकर दिल्ली की महिलाएं व युवतियां सड़क पर उतरीं. 40 से अधिक स्थानों पर मौन विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन का आयोजन महिलाओं की संगठन शरण्या के प्रबुद्ध वर्ग मेधाविनी सिंधु सृजन द्वारा किया गया था. “निकिता तोमर के हत्यारों को फांसी दो.’ व “स्वयं जागकर औरों को जगाना है, निकिता को न्याय दिलाना है.’ जैसे स्लोगन लिखे प्लेकार्ड लिये थीं. जिसे देखने के लिए लोग रुक रहे थे. ये लोगों को घटनाक्रम के बारे में जानकारी देते हुए लव जिहाद के प्रति लोगों को जागरूक कर रही थीं.

ये मौन विरोध प्रदर्शन कल्याणपुरी, जलेबी चौक, मयूर विहार फेस वन, मयूर विहार फेस टू, मिहिरावली, द्वारका, मुनिरका, त्रिलोकपुरी, लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन, पीरागढ़ी, बलबीर नगर, पांडव नगर, कोहाट मेट्रो स्टेशन व कश्मीरी गेट जैसे भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थलों पर हुए. इसमें प्रोफेसर, वकील, शिक्षक व डॉक्टर समेत अन्य प्रबुद्ध वर्ग से जुड़ी महिलाएं व युवतियां थी. इसकी अगुवाई मेधाविनी सिंधु सृजन की संयोजिका डॉ. निशा ने की. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य यहीं था कि लव जिहाद के बढ़ते मामलों पर सरकार संज्ञान लेते हुए कानून बनाए.

बल्लभगढ़ में निकिता तोमर की सरे बाजार हत्या कर दी गईं थी. उसका दोष केवल इतना था कि उसने तौसीफ नामक युवक के साथ विवाह करने और धर्म परिवर्तन के लिए मना कर दिया था. हमारा संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी देता है. अपने जीवन साथी को चुनने की आजादी देता है, लेकिन तौसीफ जैसे सिरफिरे लोगों को कौन समझाए कि हर व्यक्ति को आजादी से जीने का अधिकार है. ऐसी अनेक घटनाएं जहां हिन्दू लड़कियों का अपहरण, प्यार के जाल में फंसाकर उनसे शादी के ऐसे कई उदाहरण हैं जो हमें उद्वेलित करते हैं और साथ ही साथ सोचने पर मजबूर करते हैं. ये घटनाएं गहरी साजिश का नतीजा हैं. इन पर अभी भी लगाम नहीं कसी तो वह दिन दूर नहीं, जब हम अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं रहेंगे.

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