लखनऊ (विसंकें). समरसता गतिविधि के अखिल भारतीय संयोजक के. श्याम प्रसाद जी द्वारा लिखित पुस्तक “समानता के प्रतीक बुद्ध और विवेकानन्द” का अनावरण केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री कौशल किशोर ने किया. शनिवार को गोमतीनगर स्थित उत्तर प्रदेश पर्यटन भवन के सभागार में समारोह का आयोजन किया गया था.
पुस्तक के लेखक और सामाजिक समरसता गतिविधि के राष्ट्रीय संयोजक के. श्याम प्रसाद जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द पर बुद्ध का गहरा प्रभाव था. बुद्ध और विवेकानन्द ने हर तरह के भेदभाव के खिलाफ प्रचार किया. अलग-अलग कालखण्ड व विभिन्न परम्पराओं से संबंधित होते हुए भी दोनों महापुरूषों के बीच कई समानताएं हैं. बुद्ध और विवेकानन्द दोनों समता के श्रेष्ठ प्रतीक हैं. दोनों श्रेष्ठ धर्म प्रचारक हैं. भारत के उत्थान और विश्व शांति के लिए दोनों महापुरूषों ने काम किया. आज भारत में सामाजिक समता की बहुत आवश्यकता है. सबके बीच में समता खड़ा करने के बाद ही राष्ट्र का विकास हो सकता है. भारत के विकास के लिए, भारत में समता के लिए, धर्म की रक्षा के लिए तथा विश्वशांति के लिए बुद्ध के अनुयायी व विवेकानंद के अनुयायियों को साथ मिलकर काम करने की आज आवश्यकता है.
केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर ने कहा कि बुद्ध और विवेकानंद की शिक्षाओं को जीवन में उतारने की आवश्यकता है. हमें सनातनी एकता को लाने के लिए जाति सूचक शब्द हटाने होंगे. महात्मा बुद्ध और विवेकानंद ने अपने नाम के आगे जात नहीं लिखी.
कार्यक्रम के अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र संघचालक रामकुमार वर्मा ने कहा कि महात्मा बुद्ध और स्वामी विवेकानंद ने समाज में समानता लाने व ऊँच-नीच को दूर करने का काम किया. दोनों महापुरुषों का लक्ष्य एक था. हिन्दुओं में हिन्दुत्व का भाव समानता का भाव और समरसता का भाव आवश्यक है. हिन्दू समाज में एकता निर्माण करने के लिए हमें प्रयास करना चाहिए. जब तक हिन्दू समाज संगठित नहीं होता, समरस नहीं होता. तब तक हिन्दू समाज की शक्ति दिखाई नहीं देती. अगर हम सशक्त समाज का संगठन करना चाहते हैं तो सामाजिक समरसता लानी होगी.