कुल्लू (हिमाचल प्रदेश).
महाभारत कालीन दीमासा काछारी समाज वर्तमान समय में नागाराज्य के दीमापुर और असम के दी माहासौ एवं काछार जिले में निवास करता है. राज्यों के विभाजन के चलते अलग-थलग पड़ा यह समाज आज भी सनातन परम्परा पर आधारित सांस्कृतिक एवं धार्मिक जीवन व्यतीत करता है.
मान्यता है कि द्वितीय पाण्डव भीम का विवाह अज्ञातवास के दौरान दीमापुर की हिडिम्बा राजकुमारी से हुआ था और इस दाम्पत्य से उनको घटोत्कच नामक वीर पुत्र प्राप्त हुआ. जिसने अपनी वीरता का परिचय महाभारत के युद्ध में दिया था. घटोत्कच का यह बलिदान युद्ध में पांडवों की विजय में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा.
अपने पुत्र की खोज में कुरुक्षेत्र पहुंची माता हिडिम्बा को भगवान श्रीकृष्ण जी पहले सांत्वना देते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि आप हिमगिरी में जाकर साधना करें. साथ ही यह आश्वासन भी देते हि कि कलयुग में हिडिम्बा जी के पीढ़ी के लोग उनकी खोज करते हुए हिमगिरी पहुंचने के बाद उनकी प्रसिद्धि सम्पूर्ण देश में फैलाएंगे.
दीमासा समाज का कल्याण आश्रम से सम्बंध दीमापुर के क्षेत्र में 1991 से हुआ. दीमासा समाज को मां की साधना स्थली के बारे में जानकारी नहीं थी. कल्याण आश्रम के माध्यम से उन्हें यह जानकारी मिली कि मनु की साधना स्थली मनाली में हिडिम्बा माता का भव्य मंदिर स्थित है. तब से यहां के लोगों में धर्मयात्रा करने का विचार प्रखर होने लगा.
अप्रैल, 2022 में पहली बार एक छोटा दल बिनीता जिदूंग जी के नेतृत्व में मनाली पहुंचा और दूसरी बार मई, 2023 में 97 लोगों का दल दर्श के लिए पहुंचा. जिस भक्ति भाव से माता को यहां के लोग मानते हैं, यह देखकर वे भावविभोर हो उठे. उनकी हिमाचल की यात्रा की संपूर्ण व्यवस्था हिमगिरि कल्याण आश्रम द्वारा की गई थी.
यात्रा की अनुभूति की खबर नागा राज्य में पहुंचते ही मां के दर्शन की अभिलाषा अन्य लोगों में भी संचारित हुई. लोगों ने तय किया कि अगली यात्रा ज्येष्ठ मास की संक्रांति (मां के जन्मदिवस) के दिन की जाएगी. योजना के अनुसार असम और नागा राज्य के 44 दीमासा बंधु, जिसमें 26 महिलाएं भी हैं. 10 मई को गुवाहाटी से निकल कर 13 मई को सुबह मनाली पहुंचे. माता हिडिम्बा के वंशज दीमासा जनजाति बंधु श्रद्धा स्थान की खोज में 13 मई, 2024 को मनाली (हिमाचल प्रदेश) पहुंचे.
दिल्ली से अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के सह संगठन मंत्री भगवान सहाय जी, अखिल भारतीय श्रद्धा जागरण प्रमुख राजेंद्र मांदला जी भी यात्रा में सम्मिलित हुए.
मनाली में आयोजित स्वागत कार्यक्रम में मुख्यातिथि पूर्व सांसद राजा महेश्वर सिंह जी, कार्यक्रम के अध्यक्ष कल्लू-लाहौल समिति के संरक्षक रामनाथ साहनी जी व मुख्य वक्ता भगवान सहाय जी, विशेष अतिथि राजेंद्र मंदला जी उपस्थित रहे. कुल्लू जिला समिति ने सभी का स्वागत किया गया. शाम को 6 बजे दीमासा बन्धु अपने पारंपरिक वेश में हिडिम्बा माता के मंदिर दर्शन करने निकले व मन्दिर प्रांगण अपनी प्रार्थना करने के बाद शाम की आरती में भाग लिया व प्रसाद ग्रहण किया.
14 मई, को बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच स्थित मनाली (मनु का स्थली) काफी रमणीय है. जब मंदिर प्रबंधन में लगे लोगों को मालूम पड़ा कि यह समूह सुदूर दीमापुर से आया है, तब दर्शन के लिए अलग सुविधा प्रदान की. वहां के मुख्य पुजारी पंडित रमन सिंह जी ने सभी श्रद्धालुओं को अपने घर में बुलाकर मनाली की स्थानीय स्वादिष्ट धाम (भोजन) करवाया.
15 मई, को यात्रा संघ ने “अटल टनल” का भी दर्शन किया और सोलन-शिमला नगर में प्रकल्प दर्शन व भ्रमण हेतु रवाना हुए.