नई दिल्ली. कभी बोलते हैं राम नहीं थे. कभी बोलते हैं राम जन्मस्थान नहीं था. कभी बोलते हैं काग़ज़ नहीं हैं. कभी तारीख़ नहीं बताते. लेकिन, अब जब सब हो गया तो नया राग मुहूर्त ठीक नहीं का है. कब तक, आखिर कब तक ये लोग मंदिर निर्माण में बाधा डालने की कोशिश करेंगे?
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को लेटर पिटीशन भेजी गई है. मुख्य न्यायाधीश से लेटर पिटीशन को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई है.
दिल्ली के पत्रकार एवं अधिवक्ता साकेत गोखले की ओर से भेजी गई लेटर पीआईएल में कहा गया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाला भूमि पूजन कोविड -19 के अनलॉक- 2 की गाइडलाइन का उल्लंघन है. भूमि पूजन में लगभग 300 लोग एकत्र होंगे, जो कोविड-19 के नियमों के विपरीत होगा.
लेटर पिटीशन के माध्यम से भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने की मांग की गई है. कहा गया है कि भूमि पूजन का कार्यक्रम होने से कोरोना के संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ेगा. उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र की गाइडलाइन में छूट नहीं दे सकती.
कोरोना संक्रमण के कारण ही बकरीद पर सामूहिक नमाज़ की इजाजत नहीं दी गई है. लेटर पिटीशन में राम मंदिर ट्रस्ट के साथ ही केंद्र सरकार को भी विपक्षी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है.
लेटर पिटीशन सामने आने के पश्चात साकेत गोखले की कुछ तस्वीरें सोशळ मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें वह राहुल गांधी के साथ दिख रहे हैं.
माना मैंने नया घर बनाना है, तो शुभ-अशुभ समय (मुहुर्त) की चिंता मैं करुंगा या मेरे पड़ोसी. इसी प्रकार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ न्यास ने भूमि पूजन के लिए समय चयनित किया है तो अन्य को संभव हो तो सहयोग करना चाहिए, नहीं तो शांत बैठें. लेकिन बाधा खड़ी करने से मानेंगे नहीं.