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पाकिस्तान में अल्पसंख्यक व महिलाओं का उत्पीड़न – जनवरी से जून तक 1489 नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर दुष्कर्म

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प्रदर्शन की प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण अल्पसंख्यकों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. उनका जीवन कट्टरपंथियों के रहमोकरम पर निर्भर है. महिलाओं-लड़कियों की स्थिति तो और भी बदतर है. अदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल पहले छह माह में करीब 1500 नाबालिग लड़कियों के अपहरण की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. कट्टरपंथी अपने आनंद के लिए दिन-दहाड़े युवतियों का अपहरण कर लेते हैं. महिलाओं की सुरक्षा के लिये सरकार-प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए जाते और न ही इन घटनाओं में सख्त कार्रवाई की जाती है. अपितु अपराधियों को ही प्रश्रय दिया जाता है.

पाकिस्तान की महिला फाउंडेशन ने आंकड़े जारी कर पाकिस्तान की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. महिला फाउंडेशन के अनुसार पाकिस्तान में जनवरी से जून 2020 तक 1489 नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर उनसे दुष्कर्म करने की घटनाएं सामने आई हैं. यानि प्रतिदिन 8 मामले सामने आते हैं, ये वो केस हैं, जो पुलिस के पास रिपोर्ट हुए हैं. जबकि, इससे 3 गुणा केस ऐसे हैं जो पुलिस के पास लोगों ने अपने सम्मान तथा सुरक्षा के कारण रिपोर्ट ही नहीं किए.

महिला फाउंडेशन ऑफ पाकिस्तान की प्रधान रूबिना सादिक ने महिलाओं की स्थिति से संबंधित रिपोर्ट में आरोप लगाया कि जो 1489 केस सामने आए हैं, उनमें से 32 प्रतिशत केस गैर-मुस्लिम लड़कियों के हैं तथा 119 गैर-मुस्लिम लड़कियों की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले सामने आए हैं. हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने 119 लड़कियों की हत्या के मामले में मात्र 9 आरोपियों को ही गिरफ्तार किया है.

सच्चाई यह है कि पाकिस्तान में जनवरी से जून 2020 तक लगभग 5 हजार नाबालिग लड़कियों का अपहरण हुआ है. परंतु पुलिस के पास रिपोर्ट करने से लोग डरते हैं, क्योंकि पुलिस आरोपियों को सजा देने के बजाय पीड़ित परिवार को ही अपमानित करती है तथा कट्टरपंथियों के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं करती. मदरसों के मौलवियों द्वारा नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म करने के मामले 118, अपने ही रिश्तेदारों द्वारा दुष्कर्म करने के 114 तथा अध्यापकों द्वारा नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म के 167 मामले पुलिस ने दर्ज किये हैं. परंतु अधिकतर में पुलिस ने दोनों पक्षों में समझौते करवा कर ममले को रफा-दफा कर दिया.

जिस तरह से बीते कुछ माह से गैर-मुस्लिम लड़कियों को अपहरण कर उनका धर्म परिवर्तन करवा कर अपहरणकर्ताओं से ही निकाह होने की घटनाएं सामने आई हैं, तथा गैर-मुस्लिम लड़कियां जो अपहरणकर्ताओं से निकाह करने से इंकार कर देती हैं वो मार दी जाती हैं. लेकिन पाकिस्तान सरकार द्वारा इन मामलों पर चुप्पी साध लेना मानवता के माथे पर कलंक है. जिन हिन्दू, सिक्ख तथा क्रिश्चयन लड़कियों सहित नाबालिग गैर-मुस्लिम लड़कियों के अपहरण की बात रिपोर्ट में कही है, उनके बारे में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.

रुबिना ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से प्रश्न किया कि यदि उनकी बेटी का अपहरण कर उसका किसी गैर-मुस्लिम से विवाह करवा दें तो उन्हें कैसा लगेगा. यही हालत पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम लोगों की है. महिला फाउंडेशन पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाएगी.

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