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मिशनरियों का नया हथकंडा, बेटे की चाहत का लाभ उठाकर बरगलाकर मतांतरण का प्रयास

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रांची. मतांतरण के कार्य को गति देने के लिए मिशनरीज़ नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. मिशनरी मतांतरण के लिए लोगों की इच्छा को आधार बनाकर भ्रमित कर रहे हैं. झारखंड में कन्वर्जन को तेज करने के लिए चर्च ने एक नया रास्ता अपनाया है. इसके अंतर्गत चर्च पहले अपने लोगों से उन परिवारों का पता लगाने के लिए कहता है, जिनके घर केवल बेटियां पैदा हुई हैं. ऐसे परिवार चिहिन्त होते ही चर्च के लोग किसी न किसी बहाने उनके घर पहुंचते हैं और उन्हें कहते हैं, ”अब तक तुम देवी-देवताओं की पूजा करते थे, लेकिन उन्होंने तुम्हें बेटा नहीं दिया. अब एक बार ईसाई बनो और प्रभु ईशु की प्रार्थना करो, बेटा अवश्य पैदा होगा.”

ऐसे ही षड्यंत्र का खुलासा रामगढ़ जिले में हुआ है. मामला यहां के कुजू क्षेत्र के केरला गंझु डीह टोला का है. बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले इस टोले में रहने वाले कर्मा करमाली के घर कुछ ईसाई पहुंचे. उन्होंने परिवार से कहा, ”देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद भी तुम्हारे घर बेटा पैदा नहीं हुआ. अब ईसाई बन कर देखो, तुम्हारे घर बेटे का जन्म अवश्य होगा.”

उस परिवार में चार बेटियां ही हैं. इसकी जानकारी उन ईसाइयों को थी. इसलिए वे लोग परिवार के पास पहुंचे और यह लालच दिया. जब गांव के अन्य लोगों को ईसाइयों की इस हरकत की जानकारी हुई तो उन्होंने इसका विरोध किया. ग्रामीणों ने इसकी सूचना कुजू पुलिस थाने को दी और छह लोगों को पकड़कर पुलिस के हवाले भी कर दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि धनेश्वर लोहरा, महेंद्र करमाली, विशाल करमाली, बादल करमाली, शांति देवी, सुफल करमाली, ये सभी कर्मा करमाली के घर पहुंचे. आरोप के अनुसार, इन लोगों ने कर्मा से कहा कि घर में लगे हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरों को हटा दो और ईसाई बन जाओ. फिर देखना घर में कितनी रौनक आती है.

सूचना मिलते ही ग्रामीण वहां पहुंचकर विरोध करने लगे. मामले को देखकर पूर्व मुखिया निर्मलकर माली और वर्तमान मुखिया पति कैलाश करमाली ने पुलिस को सूचित किया. इसी दौरान वहां मौजूद जितेंद्र मुंडा को भी ईसाई बनने के लिए प्रलोभन दिया जा रहा था. मगर उसने ऐसा करने से मना कर दिया.

ग्रामीण पुलिस की भूमिका को लेकर सवाल उठा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने आरोपियों को बिना जांच-पड़ताल छोड़ दिया. छोड़ने का कारण पूछे जाने पर ओपी प्रभारी अवधेश कुमार ने बताया कि थाना इंस्पेक्टर संजय गुप्ता और एसडीपीओ किशोर रजक ने जांच-पड़ताल कर पाया कि वहां कन्वर्जन नहीं, बल्कि जन्मदिन मनाया जा रहा था. इसलिए उन लोगों को छोड़ दिया गया, जबकि मांडू थाना प्रभारी संजय गुप्ता से बात करने पर पता चला कि उनकी ओर से कोई जांच नहीं की गई है.

जितेंद्र मुंडा के आवेदन को स्वीकार नहीं किया. मुंडा ने कहा कि उनके गांव में काफी संख्या में जनजातीय समाज के लोग रहते हैं. इन मिशनरी संस्थाओं द्वारा पहले भी कई बार उनके समाज को बरगलाने की कोशिश की जाती रही है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपनी जनजाति संस्कृति की रक्षा को लेकर गुहार लगाई है. अगर यही हालात रहे तो जनजाति संस्कृति का नाम लेने वाला भी पूरे झारखंड में कोई नहीं बचेगा.

विश्व हिंदू परिषद, दुर्गा वाहिनी और हिंदू समाज पार्टी  व अन्य संगठनों ने रोष जताया. विश्व हिन्दू परिषद के दीपक मिश्रा ने कहा कि रामगढ़ पुलिस मिशनरियों का साथ दे रही है. इसीलिए बिना जांच-पड़ताल के ही उन लोगों को छोड़ दिया गया.

दुर्गा वाहिनी की अनामिका श्रीवास्तव ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस का काम अपराधियों या आरोपियों को पकड़ने का और घटना की जांच करने का है. लेकिन इस घटना में पुलिस खुद वकील भी बन गई और जज भी बन गई.

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