स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाग लेने वाले खिलाड़ियों से भेंट की. उन्होंने खिलाड़ियों से स्कूलों में जाकर युवाओं को प्रेरित करने के लिए कहा और साथ ही अभिभावकों से आग्रह किया कि वह युवा पीढ़ी का खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए समर्थन करें. सिर्फ टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले एथलीट ही नहीं, बल्कि दूसरे खेलों से जुड़े लोग भी प्रधानमंत्री की पहल की प्रशंसा कर रहे हैं.
1983 में क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता टीम के कप्तान कपिल देव ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एथलीटों से मिलने के कदम की सराहना की.
कपिल देव ने द स्टेट्समैन में अपने कॉलम में लिखा, “यह स्पष्ट नहीं है कि भारत के किसी प्रधानमंत्री ने कभी कहा है कि वह हमारे देश में खेल की संस्कृति बनाना चाहते हैं या नहीं और माता-पिता से उन बच्चों को प्रोत्साहित करने की अपील की, जो खेल खेलना चाहते हैं. मोदी जी ऐसा करने वाले पहले हो सकते हैं. प्रधानमंत्री ने न केवल माता-पिता से अपने बच्चों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा है, बल्कि उन्होंने यह भी प्रदर्शित किया है कि खेलों और हमारे एथलीटों में सक्रिय रुचि लेकर ऐसा कैसे किया जाता है.
“ओलंपिक के दौरान भी प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों के साथ बात की थी, लेकिन उसमें भाषण या औपचारिकता नहीं थी. प्रधानमंत्री न केवल खिलाड़ियों , अपितु उनके खेल को लेकर भी रुचि लेते थे. नहीं तो, चोट के बावजूद प्रतिस्पर्धा करने के बजरंग पुनिया के दृढ़ संकल्प के बारे में सवाल करना मुश्किल होता या रवि दहिया के साथ विरोधी के काटने के बारे में पूछना भी मुश्किल होता. यह सवाल भी मुश्किल था कि नीरज चोपड़ा के बारे में कि उन्हें कैसे पता चला कि उन्होंने भाला फैंकते ही जीत हासिल कर ली थी. मोदी जी ने कई एथलीटों के लिए माइक पकड़ा जो यह नहीं जान पाए कि यह चालू है या बंद है. प्रधानमंत्री ने इस बात का ध्यान रखा कि कार्यक्रम में खेल व ओलंपिक में भारत के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले खिलाड़ियों पर विषय केंद्रित रहे, न कि किसी अधिकारी या नौकरशाह पर.”
पूर्व वर्ल्ड कप विजेता ने कहा, “मोदी जी ने जिस तरह बात की, उदाहरण के लिए विनेश फोगाट से. मेडल नहीं जीतने के लिए खुद पर गुस्सा नहीं करने को कहा. उन्होंने कहा कि सफलता को कभी अपने सिर पर मत जाने दो और असफलता को कभी अपने दिल पर मत जाने दो. वह न केवल उसके लिए, बल्कि कई अन्य लोगों के लिए भी प्रोत्साहन था, जिन्होंने कोई पदक नहीं जीता था. ओलंपिक के स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले एथलीटों को खुद से बहुत उम्मीदें होती हैं और जब उनकी उम्मीदें धराशायी हो जाती हैं, तो उनके लिए खुद को सजा देना आसान होता है. ऐसे अकेलेपन में उन्हें सहारे की जरूरत है और भारत के प्रधानमंत्री ने बेहतर दिखाया कि एक पूरा देश उनके साथ खड़ा है?
कपिल देव ने कहा, “मोदी जी की नीरज चोपड़ा को चूरमा और पीवी सिंधु को आइसक्रीम परोसते हुए उनकी तस्वीरें वायरल हुईं. जबकि वे सुखद यादें हैं, मुख्य सबक यह है कि भारत के लोकतंत्र के प्रभारी व्यक्ति मानते हैं कि खेल और खेल संस्कृति महत्वपूर्ण है. यही खेल संस्कृति के विकास को बढ़ावा देता है, जो मोदी जी की सबसे बड़ी विरासतों में से एक होगी. एक खिलाड़ी के रूप में, मैं खेल समुदाय को प्रधानमंत्री से प्यार और सपोर्ट प्राप्त करते हुए देखकर बहुत खुश हूं. मैं यह जोड़ना चाहता हूं कि अगर हमें भविष्य में और पदक जीतने हैं तो हमें खेल के बुनियादी ढांचे पर ध्यान देना चाहिए. और खेल के उपकरण पर कोई शुल्क नहीं होना चाहिए जो एथलीटों की आवश्यकता होती है.
और अंत में कहा, “मोदी जी आपने खेल जगत का दिल जीत लिया”. जय हिन्द.!