पाकिस्तान में कट्टरपंथी मुस्लिमों के कारण अल्पसंख्यक समाज (हिन्दू, सिक्ख, ईसाई) का जीवन दुभर हो गया है. अल्पसंख्यकों पर अत्याचार व हत्या की घटनाएं प्रतिदिन सामने आती रहती हैं.
अब एक बार फिर हिंदुओं की सामूहिक हत्या की सनसनीखेज घटना सामने आई है. मुलतान जिले में कट्टरपंथी हमलावरों ने एक हिन्दू परिवार के 5 लोगों की धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी. घटना के बाद से हिंदुओं और सिक्खों में भय का माहौल है. ये हिन्दू परिवार मुलतान के पास रहीमयार खान शहर से 15 किलोमीटर दूर अबू धाबी कॉलोनी में रहता था. पुलिस ने मौके से चाकू और कुल्हाड़ी सहित कुछ अन्य हथियार बरामद किए हैं. घटना को अंजाम देने वाले हत्यारों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है.
रहीमयार खान के सामाजिक कार्यकर्ता बीरबल दास के अनुसार, परिवार के मुखिया राम चंद की उम्र 35-36 साल थी और वो लंबे समय से अपनी दर्जी की दुकान चला रहे थे. राम चंद और उनका परिवार बेहद शांतिप्रिय और खुशहाल जीवन जी रहा था.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं और सिक्खों पर अत्याचार की घटना लगातार बढ़ रही हैं. लगभग 6 महीने पहले कराची में एक हिन्दू डॉक्टर की भी अज्ञात लोगों ने चाकू से गला रेतकर बेरहमी से हत्या कर दी थी. डॉक्टर का नाम लाल चंद बागरी था वो सिंध प्रांत के तांदो अल्यहार में प्रैक्टिस करते थे. पाकिस्तान में ही 1947 से अल्पसंख्यक हिन्दुओं और सिक्खों का उत्पीड़न जारी है. वहां पर हिन्दू-सिक्खों की नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर उनसे जबरन इस्लाम कबूल करवाना और फिर मुस्लिम युवकों के साथ उनका निकाह करवा देना आम बात है. हिन्दू-सिक्ख इन घनाओं को लेकर लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन आज तक उनकी शिकायत पर कभी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
अभी हाल ही में एक हिन्दू छात्रा की हत्या कर दी गई थी. जिसे आत्महत्या का नाम देने की कोशिश की गई, पर लड़की के भाई ने उसे मर्डर बताया था. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री दुनिया भर में भारत के अल्पसंख्यकों का रोना रोते हैं, पर अपने ही देश की स्थिति के बारे में बोलने को तैयार नहीं हैं.
पाकिस्तान में हिन्दू कितने सुरक्षित हैं, इसका आंकड़ा वहां की हिन्दुओं की जनसंख्या बयां करती है. भारत से अलग होने के समय (विभाजन के दौरान) पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 14% जो अब सिमट कर 2.3 प्रतिशत रह गई है.
उत्पीड़न से परेशान अनेकों अल्पसंख्यक परिवार भारत में शरण लेते हैं, इन्हें ही राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन कानून लेकर आई थी.