मुंबई.
मुंबई के एक कॉलेज में बुर्का, नकाब, हिजाब आदि पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बुधवार को खारिज कर दिया. याचिका कॉलेज की नौ छात्रों ने दायर की थी.
न्यायमूर्ति ए.एस. चांदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंडपीठ ने कहा कि वह चेंबूर स्थित एनजी आचार्य और डी.के. मराठे कॉलेज के निर्णय में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है.
छात्रों ने कालेज की ओर से जारी निर्देश को चुनौती दी थी, जिसमें जून से शुरू होने वाले नए शैक्षणिक वर्ष से ड्रेस कोड का पालन करने का निर्देश दिया गया था.
निर्देशों में कहा गया – “आपको कॉलेज के ड्रेस कोड का पालन करना होगा, जिसमें औपचारिक और सभ्य पोशाक शामिल है, जिससे किसी का धर्म उजागर नहीं हो, जैसे कि बुर्का, नकाब, हिजाब, टोपी, बैज, स्टोल आदि नहीं. कॉलेज परिसर में लड़कों के लिए केवल हाफ शर्ट व सामान्य पतलून और लड़कियों के लिए कोई भी भारतीय/पश्चिमी गैर-प्रकटीकरण पोशाक. लड़कियों के लिए चेंजिंग रूम उपलब्ध है”.
दिशा-निर्देशों को रेखांकित करने वाला संदेश संकाय सदस्यों द्वारा दूसरे और तीसरे वर्ष के डिग्री कोर्स के छात्रों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप पर प्रसारित किया गया था.
हिजाब पहनने वाली जूनियर कॉलेज की लड़कियों को कॉलेज में प्रवेश देने से इनकार करने के बाद याचिका दायर की गई थी. छात्रों (याचिकाकर्ता) ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि ये निर्देश अवैध, मनमाने और अनुचित थे.
याचिका में न्यायालय से नोटिस को मनमाना बताते हुए उसे रद्द करने का निर्देश देने की माँग की गई थी. सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया.