आतंक के सबसे बड़े पनाहगार माने जाने वाले पाकिस्तान में भी आतंकी सुरक्षित नहीं हैं. भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रचने वालों का एक-एक कर सफाया हो रहा है. आतंकी मुफ्ती कैसर फारूक, खालिस्तानी आतंकी परमजीत सिंह पंजवड़, एजाज अहमद अहंगर और आतंकी शाहिद लतीफ जैसे आतंकियों की हत्या के बाद अब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ‘आजम चीमा की मौत की खबर सामने आई है.
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान के फैसलाबाद में आतंकी आजम चीमा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. फिलहाल मौत की वजह हार्ट अटैक बताया जा रहा है. आतंकी आजम चीमा मुंबई 26/11 आतंकी हमला और जुलाई 2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोटों के अलावा भारत में हुए अन्य आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में था. पाकिस्तान की शह पर भारत में किये जाने वाले अनेक हमलों में उसका हाथ था.
बीते कुछ महीनों में पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के कई आतंकियों की रहस्यमयी तरीके से मौत हुई है. अनेक आतंकियों को अज्ञात हमलावरों ने मौत के घाट उतार दिया तो कुछ आतंकी जहर दिए जाने या फिर अन्य तरह की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए. आर्थिक तंगहाली, राजनीतिक अस्थिरता और बेतहाशा महंगाई जैसे अन्य कई संकटों में घिरे पाकिस्तान की स्थिति अब ऐसी हो गई कि उसके आतंकी अपने ही देश में सुरक्षित नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2000 के दशक की शुरुआत से ही आतंकी आजम चीमा पाकिस्तान के बहावलपुर में अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ रहता था. उसके साथ अक्सर 6 अंगरक्षक पाए जाते थे और एक लैंड क्रूजर कार में घूमते दिखाई देता था. चीमा 2008 से पाकिस्तान के बहावलपुर में लश्कर कमांडर के रूप में काम कर रहा था. उसे लश्कर के वरिष्ठ पदाधिकारी जकी-उर-रहमान लखवी के संचालन सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था और उसने 26/11 के मुंबई हमलों में भर्ती के प्रशिक्षण के अलावा पूरे प्लान को पूरा करने का जिम्मा उठाया था.
आतंकी आजम चीमा प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख आतंकियों में से एक था. वो लश्कर-ए-तैयबा का इंटेलिजेंस चीफ था. उसे लश्कर चीफ आतंकी हाफ़िज़ सईद का बेहद करीबी माना जाता रहा है. संदिग्ध परिस्थितियों में हुई उसकी मौत से हाफिज सईद और ISI को बड़ा झटका लगा है. आतंकी चीमा और अब तक मारे गए अन्य आतंकियों की मौत न केवल पाकिस्तान की धरती पर एक नामित आतंकवादी की मौजूदगी की पुष्टि करती है, बल्कि पाकिस्तान के उस झूठ की भी पोल खोलती है जो पाकिस्तान हमेशा से बोलता आया है कि वो आतंकवाद का पनाहगार नहीं है.