झोटवाड़ा, जयपुर.
हम सभी स्वयंसेवक संघ स्थान पर खेल में मगन थे, तभी एक जोशीले स्वर ने हमारा ध्यान खींचा. मुड़कर देखा तो एक सज्जन खड़े थे. उन्होंने कहा – ‘राष्ट्र मंदिर के लिये मेरी भी आहुति स्वीकार करें’. उन्हें नमस्कार कर कुछ देर प्रतीक्षा करने का आग्रह किया.
शाखा विकिर पश्चात चर्चा आगे बढ़ी, परिचय पूछने पर उन्होंने बताया – मैं सूबेदार श्रीकृष्ण मीणा हूँ. कारगिल युद्ध में भारत माँ की रक्षा के लिए मैंने दुश्मनों से मुकाबला किया था. इस राष्ट्र मन्दिर (श्रीराम मंदिर) निर्माण के लिए मेरी भी एक आहूति स्वीकार करें. मुझे गर्व है कि श्रीराम मंदिर के रूप में राष्ट्र मन्दिर का निर्माण मैं मेरी आंखों से देखूंगा.
हमने कहा – ‘श्रीराम मंदिर निधि समर्पण अभियान की टोलियां सभी घर पर जा रही हैं, आपके भी द्वार पर आएंगे.’
सूबेदार मीणा जी प्रसन्न मन से बोले – ‘प्रभु श्री राम के लिए निधि समर्पण की व्याकुलता इतनी अधिक है कि मैं ओर प्रतीक्षा नहीं कर सकता था. तो आप लोगों को ढूंढते यहां आ गया.
यह कहते हुए ग्यारह हजार रुपये टोली को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए समर्पित किए.
*जय जय श्री राम.*