ये शब्द हमें जन्म-जन्म तक राम काज के राष्ट्र कार्य को करते रहने की प्रेरणा देते रहेंगे. समर्पण निधि संग्रहण करते समय एक भावपूर्ण दृश्य बना गया.
राजीव कॉलोनी में सुरेश गुप्ता जी के घर हमारी टोली पहुंची, तब सुरेश जी ने हमारी टोली को डांटकर घर से बाहर जाने को कहा. कार्यकर्ताओं की टोली वहां से निकल गई. इस बारे में सुरेश जी की धर्मपत्नी को पता लगा तो वे भावुक हो गई और हमें ढूंढते हुए गली में पीछे-पीछे आ गईं. तथा हमारे पास आकर पुनः घर चलने का आग्रह किया.
उनके विनम्र निवेदन देखते हुए कार्यकर्ता उनके साथ चल पड़े. घर पहुंचने पर उन्होंने सम्मान के साथ पूरी टोली का हृदय से स्वागत किया. सुरेश जी की धर्मपत्नी हमें राम-राम करते हुए पानी की मनुहार की और फिर भोजनालय में जलपान की व्यवस्था में लग गयीं. इसी दौरान उन्होंने अपने पति सुरेश जी से समर्पण राशि देने का आग्रह किया, तो सुरेश जी भक्ति भाव से 101 रु. समर्पण निधि के रूप में देने लगे थे, इतने में ही उनकी पत्नी जलपान लेकर कक्ष में आ गईं.
उनकी धर्मपत्नी जी ने जब राशि देखी, तो सुरेश जी से कहा कि “अयोध्या तो राम जी चाहेंगे, तब ही दर्शन हेतु जा पाएंगे. लेकिन आज इस टोली के रूप में “मेरे लिए तो मेरे राम ही घर आए हैं.” आज इन भाईयों के माध्यम से ही तो हम साक्षात राम भगवान का यहां अनुभव कर पा रहे है, इन्हीं के माध्यम से श्रीराम जी के मंदिर में कुछ योगदान हमारा भी हो सकेगा…ऐसा कहते हुए, उन्होंने अपने पुत्र हेमन्त की ओर इशारा करके राशि बढ़ाने का आग्रह किया.
तो सुरेश जी ने उनकी भावना का सम्मान करते हुए ५१,००/- का एक और चेक बना दिया.
यह दृश्य देख हमारा ह्रदय उनकी राम भक्ति के प्रति सम्मान से भर गया. उन्हें रसीद देने के पश्चात विनम्र भाव से सुअवसर को याद के रूप में संजोए रखने के लिए एक फोटो लेने का आग्रह किया, जिस पर थोड़े संकोच के पश्चात उनकी स्वीकृति मिल गई.
ऐसे न जाने कितने राम भक्त हमारी प्रतीक्षा में होंगे, यह सोचते हुए हम राम-राम कहकर राम काज को आगे बढ़ चले!!
डीग (भरतपुर)