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‘प्रकृति के साथ चलने वाली भारतीय कालगणना का पुनर्स्थापन जरूरी’

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उदयपुर. भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति की ओर से आयोजित होली मिलन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता आनंद प्रताप ने कहा कि भारतीय कालगणना पूर्णतः वैज्ञानिक है. इसे अब आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार करता है. यह काल गणना प्रकृति के साथ चलने वाली है. इसके बारह महीने ऋतु चक्र परिवर्तन का भी स्पष्ट आकलन प्रदर्शित करते हैं. किन्तु, भारतीय समाज अपनी इस वैज्ञानिक कालगणना से कुछ दूर हो गया है. इसे पुनः स्थापित करना जरूरी है और यह तभी संभव है, जब इसे नित्य-प्रतिदिन की जीवन चर्या में समाहित किया जाए. नई पीढ़ी तक भारतीय कालगणना के महत्व को पहुंचाने का आह्वान किया. साथ ही, 2 अप्रैल को उदयपुर में होने जा रही विशाल शोभायात्रा में सहभागिता का आग्रह किया.

विशाल आयोजन की तैयारियों और जन-जन को इस आयोजन से जोड़ने के तहत सोमवार को भी विभिन्न क्षेत्रों में पील चावल देकर शोभायात्रा में आने का निमंत्रण देने का क्रम जारी रहा.

हिरण मगरी सेक्टर 4 शिव मंदिर, आर्य समाज मंदिर में मंदिर समिति, सेक्टर-7 जगन्नाथ मन्दिर में मन्दिर ट्रस्ट, भावसार समाज को भी श्रीफल और कलश देकर निमंत्रण दिया गया.

शहर के घंटाघर क्षेत्र में केशव नगर नववर्ष समारोह समिति के कार्यकर्ताओं ने नववर्ष के पत्रक का विमोचन किया व पत्रक बांटे गए.

भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2079 के बैनर का विमोचन

जोधपुर. नव वर्ष विक्रम संवत 2079 के बैनर का सोमवार को विमोचन किया गया. नव वर्ष महोत्सव समिति के महासचिव नथमल पालीवाल ने बताया कि सोमवार को बैनर का विमोचन किया गया.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक योगेंद्र कुमार ने कहा कि विक्रम संवत भारतीय नववर्ष वैज्ञानिक काल गणना पर आधारित है, इसके परिवर्तन के साथ प्रकृति स्वयं नव परिवर्तन लेकर आती है. संपूर्ण विश्व की काल गणना का आधार विक्रम संवत ही माना जाता है, इसलिए हमें इसकी महत्ता को समझते हुए एक नई उमंग और उत्साह के साथ नववर्ष का स्वागत करना चाहिए.

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