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गुरु तेगबहादुर जी के आदर्शों को जीवन में उतारने की आवश्यकता

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जयपुर. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अखिल भारतीय धर्मजागरण विधि-निधि प्रमुख रामप्रसाद जी ने कहा कि हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने औरंगजेब द्वारा किये जा रहे धर्मान्तरण को रोकने के लिए स्वयं का बलिदान देकर नव जनजागरण का वातावरण तैयार किया. जिससे सम्पूर्ण राष्ट्र में औरंगजेब के हिन्दुओं पर धर्मान्तरण के लिए किए जा रहे अत्याचारों पर अंकुश लगा. उन्होंने ने कहा कि महापुरुषों के बारे में हमारे शिक्षण माध्यमों से बहुत कम जानकारी मिलती है. आह्वान किया कि हम सभी देश के गौरव, महानायक और महापुरुषों के बारे में जानें. रामप्रसाद जी पाथेय कण संस्थान की ओर से दीपावली स्नेह मिलन, बंदीछोड़ दिवस और श्री गुरु तेगबहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि देश को स्वाधीन हुए 70 वर्ष से अधिक हो गये हैं. लेकिन आज भी मुगल आक्रांता औरंगजेब के नाम पर सड़कें और नगरों के नाम रखे हुए हैं. इस पर देश को सोचने की आवश्यकता है. जिन विदेशी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति को तहस-नहस करने का कुचक्र चलाया और आज भी इस कुचक्र को कुछ ताकतें छद्मरूप से चलाए हुए है, इस पर सोचने की आवश्यकता है.

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयपुर प्रांत संघचालक महेन्द्र सिंह मग्गो ने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी बाल्यकाल काल से ही योद्धा थे. इनकी शक्ति, साहस और वीरता को देखकर ही इनका नाम तेगबहादुर रखा गया था. उन्होंने बन्दी छोड़ दिवस पर छठवें गुरु हरगोबिन्द सिंह जी द्वारा 52 हिन्दू राजाओं को मुगल आक्रांता जहांगीर के कारागार से मुक्त कराने के घटनाक्रम पर प्रकाश डाला.

सेवानिवृत्त जिला व सत्र न्यायाधीश श्री गुरु चरण सिंह होरा ने गुरु तेगबहादुर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए मतांतरण पर चिंता व्यक्त की. समाज में उन लोगों को चिन्हित करना पड़ेगा जो पंथ के नाम पर लोगों को बांट रहे हैं.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पत्रकार नारायण बारहठ ने भारत के प्राचीन इतिहास और गौरव की चर्चा करते हुए कहा कि भारत की आध्यात्मिक, लोकतांत्रिक और मानवीय प्रतिष्ठा विश्व भर में फैली हुई है. भारत के संस्कारों में उत्सव आमोद-प्रमोद का विषय नहीं है, बल्कि खुद को आंकने का अवसर होता है. किसी भी समाज का आकलन वहां के संचार माध्यमों से लग जाता है.

कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए पाथेय कण के सम्पादक रामस्वरूप अग्रवाल ने कहा कि बंदी छोड़ दिवस और गुरु तेगबहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व जैसे समाज को जोड़ने वाले अवसरों से नई पीढ़ी को अवगत कराना हम सब का कर्त्तव्य है.

कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों ने पाथेय कण पत्रिका के श्री गुरु तेगबहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव पर प्रकाशित नवीन अंक का विमोचन भी किया. पाथेय कण संस्थान के अध्यक्ष गोविन्द प्रसाद अरोड़ा ने कार्यक्रम में पधारे गणमान्य लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया.

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