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न्यूरोथेरेपी स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार – सुधीर जी

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हरिद्वार। जम्मू यात्री भवन, भूपतवाला में लाजपत राय मेहरा न्यूरोथेरेपी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन 24 से 26 जनवरी 2025 तक आयोजित किया गया। तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यक्रम में देश-विदेश से 380 डेलिगेट्स ने भाग लिया।

अधिवेशन में राष्ट्रीय सेवा भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री सुधीर कुमार जी ने कहा कि “न्यूरोथेरेपी न केवल बिना दर्द इलाज प्रदान करती है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान दे रही है। यह विधा उन लोगों के लिए आशा की किरण बनकर उभरी है, जो लाइलाज बीमारियों से निराश हो चुके हैं।”

उन्होंने बताया कि सेवा भारती ने 2001 में न्यूरोथेरेपी प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी, जो आज भारत और विदेशों में फैल चुका है। वर्तमान में देशभर में 10,000 से अधिक न्यूरोथेरेपी सेंटर संचालित हो रहे हैं, जहां हर साल करीब चार लाख मरीज चिकित्सा प्रणाली का लाभ उठा रहे हैं।

सुधीर जी ने बताया कि न्यूरोथेरेपी विधा न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान दे रही है, बल्कि यह युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता और एंटरप्रेन्योरशिप के नए अवसर भी प्रदान कर रही है। इस समय देशभर में 40,000 से अधिक विशेषज्ञ और असिस्टेंट न्यूरोथेरेपी के माध्यम से सेवा दे रहे हैं। न्यूरोथेरेपी को राष्ट्रीय और सरकारी स्तर पर और अधिक प्रमोट करने की आवश्यकता है, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे लाभान्वित हो सकें और इसका विस्तार किया जा सके।

अधिवेशन की प्रमुख बातें –

कार्यक्रम में विभिन्न विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने अपने विचार और अनुभव साझा किये।

डॉ. कमलेश (वाइस चांसलर, गांधीनगर यूनिवर्सिटी)

डॉ. कृष्ण द्विवेदी (एस व्यास यूनिवर्सिटी, बैंगलोर)

डॉ. अनिल योगी और डॉ. वैभव दवे (माधव यूनिवर्सिटी, राजस्थान)

प्रशांत शेंडे (नेशनल एजुकेशन इंचार्ज, LMNT RTI)

कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यूरोथेरेपी रिसर्च पेपर्स की पब्लिकेशन और उनके प्रभाव पर चर्चा की गई। साथ ही, न्यूरोथेरेपी के वैज्ञानिक और व्यावसायिक विकास को लेकर पर विचार किया गया।

न्यूरोथेरेपी की सफलता और भविष्य की योजनाएं

अधिवेशन के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि न्यूरोथेरेपी न केवल इलाज का एक प्रभावी माध्यम है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली एक क्रांतिकारी विधा भी है।

सुधीर जी ने न्यूरोथेरेपी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए इसे और अधिक संगठित और व्यापक रूप देने का आह्वान किया।

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