ग्रेटर नोएडा. विश्व संवाद केंद्र एवं गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में ‘धर्मांतरण कर मुसलमान अथवा ईसाई बन गए अनुसूचित जाति के लोगों को दलित आरक्षण मिलना चाहिए अथवा नहीं’, विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. दो दिनों तक चलने वाली संगोष्ठी में पूर्व न्यायाधीश, उपकुलपति व राजनयिकों सहित व शिक्षा क्षेत्र आदि के लगभग 150 से अधिक लोग भाग ले रहे हैं.
संगोष्ठी में विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि आरक्षण का आधार अस्पृश्यता व इसके कारण उत्पन्न हुआ पिछड़ापन है. मुस्लिमों व ईसाइयों में जातिगत भेद व उत्पीड़न तो हो सकता है, पर अस्पृश्यता नहीं है. वैसे भी मुस्लिमों को अन्य पिछड़ा वर्ग व आर्थिक आधार पर कमजोर लोगों को दिया जाने वाला आरक्षण भी प्राप्त है. उन्हें अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली सुविधाएं भी प्राप्त हैं, इसलिए उन्हें अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए.
मुख्य वक्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने धर्मान्तरित लोगों को आरक्षण दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति के जो लोग धर्मान्तरण करके मुसलमान और ईसाई बन गए हैं, उनकी पहचान कर उन्हें आरक्षण से वंचित किया जाना चाहिए.
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व राज्यसभा सदस्य नरेंद्र जाधव जी ने की. उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज के अनुसूचित जाति के लोगों के आरक्षण में किसी प्रकार की कमी या उनका हिस्सा काटा नहीं जा सकता. यदि अन्य धर्मावलंबियों के लिए सरकार को कुछ करना आवश्यक लगता है तो वह अलग से व्यवस्था बनाए.
इससे पूर्व गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति रविंद्र कुमार सिन्हा जी ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया.