मुंबई में 15 दिनों के प्रशिक्षण के लिए श्रेष्ठ 5 प्रतिभागियों का चयन
पटना. तेज़ाब, सौदागर, दिल, रंग दे बसंती और जज्बा जैसी सुपरहिट फिल्मों के पटकथा लेखक कमलेश पांडेय ने कहा कि किसी भी फिल्म के लोकप्रिय होने के लिए उसकी पहली शर्त है सुलझी हुई कहानी और एक लॉजिक के साथ लिखी गई पटकथा. लॉजिक के अभाव में निरर्थक फिल्मों को हर हालत में फ्लॉप ही होना है. वे पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय फिल्म निर्माण कार्यशाला के अंतिम दिन (रविवार) पटकथा लेखन विषय पर टिप्स दे रहे थे.
भारतीय चित्र साधना के न्यासी और जाने-माने फिल्म अध्येता अरुण अरोड़ा ने प्रतिभागियों को समीक्षक की दृष्टि से फिल्में देखने की सलाह दी और कहा कि भारत में बनी फिल्मों में भारतीयता का समावेश होना चाहिए. उन्होंने पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी के अध्यक्ष आनंद प्रकाश नारायण सिंह से पटना में परफॉर्मिंग आर्ट्स का एक संस्थान स्थापित करने का आग्रह किया ताकि बिहार के उभरते हुए कलाकारों को प्रशिक्षण के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़े.
इससे पूर्व कला निर्देशक उदय सागर ने कहानी की मांग के अनुसार किरदारों के मेकअप के महत्व को डेमो के माध्यम से दिखाया. फिल्मकार कार्तिक ने डिजिटल युग में नए उपकरणों की सहायता से फिल्म शूटिंग के महत्व को बताया. अभिनेता सचिन मिश्रा ने नाटक और सिनेमा के अभिनय में अंतर हो अभ्यास करके समझाया. कार्यशाला की समाप्ति के बाद सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए और मुंबई में 15 दिन के विशेष प्रशिक्षण के लिए श्रेष्ठ 5 प्रतिभागियों का चयन किया गया. मंच संचालन सोसायटी के संयोजक प्रशांत रंजन ने किया, वहीं सिने सोसाइटी के अध्यक्ष आनंद प्रकाश नारायण सिंह ने आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर फिल्मकार रितेश परमार, रंगकर्मी संजय सिन्हा प्रमुख रूप से उपस्थित थे.