काशी (26 दिसंबर 2024). गुरुवार को महमूरगंज स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय पर दशमेश गुरु गोविन्द सिंह जी के चार साहिबजादों के बलिदान दिवस पर शबद कीर्तन का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी द्वारा आयोजित कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सरदार हरमिन्दर सिंह ने कहा कि भारतीय इतिहास व परम्परा विश्व की महानतम संस्कृतियों और सभ्यताओं में से एक है. पुण्यभूमि भारत में प्राचीन काल से महापुरुषों, साधु महात्माओं, विचारकों व गुरुओं ने अपने अनूठे ढंग से मानव समाज को सदगुण युक्त आदर्श जीवन जीने को प्रेरित किया. भारत की इस पावन धरा पर एक ओर अध्यात्म और भक्ति का संदेश गूँजा तो दूसरी ओर देश प्रेमी, धर्मनिष्ठ महामानवों ने जनसमाज में वीरत्व, शौर्य और त्याग जैसे गुणों को रोपित करते हुये उन्हें धर्म व राष्ट्र की रक्षा हेतु अपने प्राण तक न्योछावर करने का साहस भी दिया. भारतीय इतिहास में गुरु नानक देव जी से लेकर दसवें व अन्तिम गुरु गोबिन्द सिंह जी तक की गौरवमयी गाथाओं का विशिष्ट स्थान है. सिक्ख गुरुओं के धर्मनिष्ठ त्याग, राष्ट्रप्रेम एवं महान वीरोचित परम्पराओं से यह देश धन्य हुआ है. खालसा पंथ में गुरु तेगबहादुर जी का तप, त्याग व बलिदान अत्यंत महत्वपूर्ण है. वे सिक्खों के नौवें गुरु थे. उस समय भारत में मुगल साम्राज्य था. औरंगजेब एक क्रूर और अत्याचारी शासक था. उसने हिन्दुओं को इस्लाम स्वीकार कराने के लिए अनेक प्रकार के कष्ट दिये. वह संपूर्ण हिन्दू समाज को इस्लाम का अनुयायी बना कर भारत का इस्लामीकरण करना चाहता था.
कार्यक्रम में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रान्त के प्रान्त प्रचारक रमेश जी ने कहा कि आज हम अपने पूर्वजों के बलिदान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए उनका स्मरण कर रहे हैं. अपनी आने वाली पीढ़ी को यह बताना आवश्यक है कि समाज में अज्ञानी व भटके हुए लोगों के कारण विकट परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं. यदि गंगू ने धोखा न दिया होता तो वीर बालक शहीद न हुए होते. गुरु गोविन्द सिंह जी के दो साहिबजादे अजीत सिंह एवं जुझार सिंह धर्म की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए. उनके अन्य दो साहिबजादों जोरावर एवं फतेह सिंह को इस्लाम न स्वीकार करने के कारण सरहिन्द की दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया. काजी ने अन्तिम बार बच्चों को इस्लाम स्वीकार करने को कहा तो साहिबजादों ने मुस्कुराकर साहसपूर्ण उत्तर दिया – हम इस्लाम स्वीकार नहीं करेंगे. संसार की कोई भी शक्ति हमें अपने धर्म से नहीं डिगा सकती. हमारा निश्चय अटल है. बालकों की अपूर्व धर्मनिष्ठा देखकर जनसमूह स्तब्ध था.
कार्यक्रम का प्रारम्भ भाई नरिन्दर सिंह, भाई सुरिन्दर सिंह, भाई लवप्रीत सिंह द्वारा श्री गुरु ग्रन्थ साहब में वर्णित सामाजिक समरसता, त्याग-तप पर केन्द्रित शबद कीर्तन से किया गया. मुख्य ग्रन्थी अजीत सिंह ने पवित्र ग्रन्थ के कुछ अंशों का पाठ किया.
इस अवसर पर गुरुद्वारा गुरुबाग के मुख्य सेवादार परमजीत सिंह आहलूवालिया, प्रबन्धक दलजीत सिंह, सेवादार हरमिन्दर सिंह दुआ, डॉ. वीरेन्द्र जायसवाल, सहित सिक्ख संगत के पदाधिकारी एवं सनातन धर्मी उपस्थित रहे.