पूरे मेला क्षेत्र में बनाए गए हैं 50 फायर स्टेशन और 20 फायर पोस्ट; आपात स्थिति से निपटने के लिए 4,300 फायर हाइड्रेंट; 351 से अधिक अग्निशमन वाहन और 2000 से अधिक मैनपावर तैनात
महाकुम्भ नगर, 07 फरवरी। महाकुम्भ को लेकर सरकार द्वारा व्यापक स्तर पर जो तैयारी की गई थी, उसके कारण शुक्रवार को बड़ा हादसा टालने में मदद मिली। मेला क्षेत्र में अग्निशमन को लेकर जो तैयारियां की गईं थीं, उसने अहम भूमिका निभाई। ओल्ड जीटी रोड स्थित महाकुम्भ नगर में शुक्रवार को स्वामी हरिहरानंद और सुखदेवानंद के शिविर में अचानक आग लग गई। घटना की सूचना मिलते ही तत्काल फायर ब्रिगेड की एक दर्जन गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पा लिया।
चीफ फायर ऑफिसर प्रमोद शर्मा ने बताया कि आग इस्कॉन क्षेत्र में शॉट सर्किट के कारण लगी, जिससे 20 से 22 टेंट जल गए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। दमकलकर्मियों ने त्वरित कार्रवाई कर आग को फैलने से रोका।
घटना की जानकारी मिलते ही उत्तरी झूंसी के जोनल पुलिस ऑफिसर, एडिशनल एसपी सर्वेश कुमार मिश्रा, स्थानीय पुलिस और मेला मजिस्ट्रेट भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और आग लगने के कारणों की जांच शुरू कर दी है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे सावधानी बरतें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत अधिकारियों को सूचित करें।
131.48 करोड़ के वाहन व उपकरणों की तैनाती
महाकुम्भ में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए मेला क्षेत्र में 50 फायर स्टेशन और 20 फायर पोस्ट बनाए गए हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए 4,300 फायर हाइड्रेंट बनाए गए हैं। महाकुम्भ को अग्नि दुर्घटना रहित क्षेत्र बनाने के लिए 66.75 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जबकि विभागीय बजट 64.73 करोड़ है। इस प्रकार, कुल 131.48 करोड़ रुपए की लागत से वाहन व उपकरणों को महाकुम्भ मेला में अग्नि जनित दुर्घटनाओं से सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है। अलग-अलग प्रकार के 351 से अधिक अग्निशमन वाहन और 2000 से अधिक मैनपावर को लगाया गया है। यही नहीं, मेले की शुरुआत से पूर्व एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ दर्जनों मॉक ड्रिल का भी आयोजन किया गया, जिसका हादसे को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान रहा।